अतिवृष्टि से चम्पावत जिले में अदरक की फसल हुई बर्बाद

पिछले माह चम्पावत में हुई अतिवृष्टि से भू-कटाव के कारण जिले के अदरक उत्पादकों को खासा नुकसान हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 10:07 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 10:07 PM (IST)
अतिवृष्टि से चम्पावत जिले में अदरक की फसल हुई बर्बाद
अतिवृष्टि से चम्पावत जिले में अदरक की फसल हुई बर्बाद

संवाद सहयोगी, चम्पावत : पिछले माह जिले में हुई अतिवृष्टि से भू-कटाव के कारण जिले के विभिन्न स्थानों पर बोई गई अदरक की खेती को व्यापक नुकसान पहुंचा है। इससे अदरक बेचकर आजीविका चलाने वाले काश्तकारों के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है। लंबे समय तक खेतों में पानी जमा होने से भी कई जगह अदरक बेकार हो गई है। उद्यान विभाग द्वारा जल्द ही नुकसान का आकलन करने के लिए सर्वे किया जाएगा।

जिले में धूरा, अमोड़ी, चम्पावत, स्वाला, सूखीढांग, चौमेल, दिगालीचौड़, डुमडाई, चौड़ामेहता, सुई, इजड़ा, दुबचौड़ा, देवीधुरा, रौलमेल आदि स्थानों पर बड़े पैमाने पर अदरक की खेती होती है, लेकिन इस बार अतिवृष्टि के कारण अधिकांश काश्तकारों की फसल बर्बाद हो गई है। चौमेल, देवीधुरा, सूखीढांग आदि इलाकों में बारिश के पानी के साथ बहकर आए मलबे के कारण खेत दब गए हैं। कई गांवों में भू कटाव के कारण फसल बह गई है। अदरक उत्पादक काश्तकार हरीश चंद्र जोशी, मोहन सिंह बिष्ट, रमेश चतुर्वेदी, दुर्गादत्त चौबे, उमेश खर्कवाल आदि ने बताया कि अदरक की फसल बर्बाद होने के कारण उन्हें काफी नुकसान झेलना पड़ा है। उन्होंने प्रशासन से अदरक उत्पादक काश्तकारों को मुआवजा देने की मांग की है। इस बार सहकारिता विभाग ने कोरोना काल में बेरोजगार हो चुके लोगों को रोजगार से जोड़ने की पहल करते हुए चम्पावत के विभिन्न गांवों में समितियों के माध्यम से भी अदरक की खेती की थी। कई जगह समितियों के माध्यम से लगाई गई अदरक भी खराब हुई है। जिले में 475 हेक्टेयर क्षेत्रफल में अदरक की खेती से सालाना लगभग 3848 मीट्रिक टन की पैदावार होती है। बारिश से हुए नुकसान के कारण इस बार उत्पादन काफी काफी अधिक घट सकता है। जिला उद्यान अधिकारी सतीश चंद्र शर्मा ने बताया कि विभाग की ओर से अभी नुकसान का कोई सर्वे नहीं किया गया है। सर्वे के बाद ही वास्तविक नुकसान का सही आकलन सामने आएगा। ========= जिन काश्तकारों ने फसल बीमा करवाया है उन्हें बीमा कंपनी की ओर से नुकसान का मुआवजा मिलेगा। जिले में लगभग चार हजार काश्तकारों ने अदरक की फसल की बीमा करवाया है। नुकसान से बचने का एकमात्र तरीका यही है कि काश्तकार फसल बीमा करवाएं। विभाग के पास नुकसान का मुआवजा देने को कोई प्रावधान नहीं है।

- सतीश चंद्र शर्मा, जिला उद्यान अधिकारी, चम्पावत

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