गल्लागांव में गहराया पेयजल संकट, लोगों में आक्रोश

बाराकोट विकास खंड की गल्लागांव ग्राम पंचायत में पेयजल संकट गहरा गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Mar 2021 10:06 PM (IST) Updated:Sat, 27 Mar 2021 10:06 PM (IST)
गल्लागांव में गहराया पेयजल संकट, लोगों में आक्रोश
गल्लागांव में गहराया पेयजल संकट, लोगों में आक्रोश

संवाद सहयोगी, लोहाघाट : बाराकोट विकास खंड की गल्लागांव ग्राम पंचायत में पेयजल संकट गहरा गया है। गांव के लिए बनी पेयजल योजना में पानी की कमी के कारण नियमित एवं पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो रही है। यही हाल विकास खंड के अन्य गांवों में भी है। जल संस्थान आपूर्ति सुचारू बनाए रखने के तमाम दावे कर रहा है, लेकिन स्थिति लगातार खराब होती जा रही है।

ग्रामीणों का कहना है कि सलना-तड़ीगांव पेयजल योजना से तीसरे रोज आधा घंटा पानी दिया जा रहा है। ग्रामीणों को प्राकृतिक जल स्रोतों अथवा हैंडपंप से पानी ढोकर दिनचर्या चलानी पड़ रही है। ग्रामीण मनोज कुमार, प्रकाश सिंह, वीरेंद्र, पार्वती देवी, जानकी देवी, हीरा देवी, जसी देवी ने जल संस्थान से टैंकरों ने पानी वितरित करने की मांग की है। दूसरी ओर लोहाघाट नगर में भी पेयजल संकट बरकरार है। कई वार्डो में तीसरे तो कई वार्ड में चौथे दिन पेयजलापूर्ति हो रही है। आधे से अधिक नगरवासियों को अब प्राकृतिक जल स्रोत और हैंडपंपों का सहारा लेना पड़ रहा है। नगर पंचायत अध्यक्ष गोविंद वर्मा ने बताया कि नगर पंचायत की ओर से लगाए गए सोलर हैंडपंपों से जनता को काफी अधिक सहारा मिल रहा है। बताया कि जल संस्थान की योजनाओं में पानी की कमी के कारण कुछ वार्डो में संकट काफी अधिक गहरा गया है। जल संकट से जूझ रहे वार्डो में जल्द ही हैंडपंप लगाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि नगर में दो सोलर हैंड पंप लगाने का काम अंतिम चरण में पहुंच गया है। =========== होली पर्व को फीका कर रहा पेयजल संकट

जिले में इन दिनों खड़ी होली का पर्व जोश खरोश से मनाया जा रहा है। लेकिन पेयजल की समस्या जोश को ठंडा कर रही है। गांवों में महिलाएं सुबह से लेकर शाम तक जल स्रोतों से पानी ढो रही हैं, जिससे उन्हें होली कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर नहीं मिल रहा है। पाटन गांव की कामकाजी महिला जीवंती देवी, हरिप्रिया ओली, ममता जोशी, भावना गहतोड़ी ने बताया कि मार्च माह आते ही पानी का संकट शुरू हो गया था जो लगातार बढ़ता जा रहा है। नलों से पानी की आपूर्ति या तो कम हो गई है या फिर तीन दिन बाद पानी दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि गांव में होली चल रही है लेकिन उन्हें पानी भरने से ही फुर्सत नहीं मिल रही है।

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