कंधों पर सवार होकर देव डांगर नगरूघाट को हुए रवाना

भारत-नेपाल सीमा से लगे मडलक और रौंसाल क्षेत्र के प्रसिद्ध नगरूघाट मेले का रविवार को शुभारंभ हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 29 Nov 2020 10:32 PM (IST) Updated:Sun, 29 Nov 2020 10:32 PM (IST)
कंधों पर सवार होकर देव डांगर नगरूघाट को हुए रवाना
कंधों पर सवार होकर देव डांगर नगरूघाट को हुए रवाना

लोहाघाट, जेएनएन: भारत-नेपाल सीमा से लगे मडलक और रौंसाल क्षेत्र के प्रसिद्ध नगरूघाट मेले का रविवार को शुभारंभ हो गया है। क्षेत्र के विभिन्न गांवों से देव डांगर कंधों पर सवार होकर जत्थे काली नदी किनारे नागार्जुन देवता मंदिर नगरूघाट को रवाना हुए। मेले में सुरक्षा के कडे़ बंदोबस्त किए गए है।

सीमा से लगेडुंगरा लेटी, पासम, मजपीपल, सुनकुरी, सुल्ला, देवकुड़ा, डुमडाई आदि गांवों में शनिवार रात्रि जागरण का आयोजन किया गया। अगले दिन रविवार को जत्थे देव डांगरों को कंधों पर लेकर नगरूघाट को रवाना हुए। सल्टा, बगौटी व जमरसों गावों के देवरथ महाकाली नदी के तट पर स्थित नागार्जुन देवता मंदिर की परिक्रमा के रवाना हुए। कोरोना महामारी के चलते जत्थे में 10-10 लोग शामिल हुए। देर रात नागार्जुन मंदिर में भजन कीर्तनों का आयोजन किया गया। सोमवार को देव डांगर काली नदी में भोर का स्नान कर क्षेत्र की खुशहाली व विश्व से कोरोना के खात्मे की कामना करेंगे। प्रभारी कोतवाल अनुराग सिंह ने बताया सुरक्षा के कडे़ इंतजाम किए गए है। =========== नागार्जुन मंदिर में मनोकामना होती है पूरी लोहाघाट: नेपाल सीमा से लगे विभिन्न गांवों के देव डांगर महाकाली के विशाल व पवित्र तालाब में सोमवार की सुबह करीब चार बजे डुबकी लगाएंगे जिसे महाकाली का भंवर भी कहा जाता है। महाकाली के इसी ताल पर नागार्जुन देवता का वास भी माना जाता है। पांडव वंशीय नागार्जुन देवता का प्रभाव काली नदी के आर पार तट के सभी गांवों तक है। नेपाल में भी नागार्जुन देवता का काफी प्रभाव माना जाता है। मान्यता के अनुसार बैकुंठ चतुर्दशी को जो भी श्रद्धालु व्रत रखकर नागार्जुन मंदिर में वर मांगने के लिए बैठते है। उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। नागार्जुन को चौखाम बाबा का मीत माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा को देव डांगर स्नान कर नागार्जुन मंदिर में पूजा अर्चना करेंगे। ============ मेला समिति के लोग जुटे रहे तैयारियों में

लोहाघाट: नगरूघाट मेले की तैयारियों को लेकर मेला समिति अध्यक्ष जगदीश चंद्र कलौनी, सतीश पांडेय, खष्टीबल्लभ पाण्डेय, चंद्रकांत तिवारी, विक्रम सिंह सामंत, रमेश चन्द, गणेश बोहरा, गंगादत्त पांडेय, प्रेम सिंह, शंकर राम, बहादुर चंद, पुष्कर चंद, दीप पांडेय, मोहन चंद, प्रकाश पांडेय, मोहन चन्द्र पांडेय, रमेश चंद्र, त्रिलोक चंद आदि लोग व्यवस्थाओं में जुटे रहे।

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