देहरादून: सहायक आयुक्त को वापस नहीं मिलेगा फ्लैट का पैसा, जानिए क्या है वजह

रेरा ने उचित दस्तावेजों के अभाव में बुकिंग के बाद फ्लैट का आवंटन निरस्त कर धनराशि लौटाने की मांग खारिज कर दी। हालांकि बिल्डर को यह आदेश दिया गया है कि फ्लैट में जो भी खामी रह गई है उसे 20 दिन के भीतर दूर किया जाए।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 01:24 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 01:24 PM (IST)
देहरादून: सहायक आयुक्त को वापस नहीं मिलेगा फ्लैट का पैसा, जानिए क्या है वजह
देहरादून: सहायक आयुक्त को वापस नहीं मिलेगा फ्लैट का पैसा, जानिए क्या है वजह।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) ने उचित दस्तावेजों के अभाव में बुकिंग के बाद फ्लैट का आवंटन निरस्त कर धनराशि लौटाने की मांग खारिज कर दी। हालांकि, बिल्डर को यह आदेश दिया गया है कि फ्लैट में जो भी खामी रह गई है, उसे 20 दिन के भीतर दूर किया जाए।

रेरा सदस्य मनोज कुमार के आदेश के मुताबिक, राज्य निर्वाचन आयोग के सहायक आयुक्त राजकुमार वर्मा ने फरवरी 2017 में विंडलास रिवर वैली में फ्लैट बुक कराया था। बिल्डर ने फ्लैट पर अप्रैल 2018 तक कब्जा देने का वादा किया था। इसके एवज में वह बिल्डर को तय समय तक 42 लाख रुपये से अधिक राशि का भुगतान कर चुके थे।

तय समय पर फ्लैट पर कब्जा नहीं मिलने पर राजकुमार वर्मा को परियोजना में दूसरा फ्लैट आवंटित किया गया। रेरा से की गई शिकायत में सहायक आयुक्त ने आरोप लगाया कि दूसरे फ्लैट में फिनिशिंग के काम पूरे नहीं किए गए हैं। इस संबंध में कई दफा शिकायत दर्ज करने के बाद भी बिल्डर की ओर से समाधान नहीं किया जा रहा है। लिहाजा, राजकुमार वर्मा ने धनराशि वापस करने की मांग की।

इस प्रकरण की सुनवाई करते हुए रेरा सदस्य मनोज कुमार ने पाया कि अनुबंध पत्र में दर्ज किया गया है कि निर्माण शुरू होने (मई 2017) से 36 माह के भीतर फ्लैट पर कब्जा दिया जाएगा। इसके अलावा शिकायतकर्ता ऐसा कोई दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं करा सके, जिससे यह प्रतीत हो कि फ्लैट निर्माण में विलंब किया गया है या दूसरे फ्लैट का आवंटन उनकी मर्जी के विपरीत किया गया।

हालांकि, रेरा सदस्य ने कहा कि रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट 2016 की धारा 11(3) के मुताबिक कब्जा देने के बाद से पांच साल तक त्रुटियों में सुधार करना बिल्डर का दायित्व है। उन्होंने कहा कि तकनीकी कार्मिक की उपस्थिति में फ्लैट का निरीक्षण कर त्रुटियों का आकलन कर उन्हें 20 दिन के भीतर दूर किया जाए। शिकायतकर्ता के पक्ष में रजिस्ट्री कराने और पार्किंग स्पेस उपलब्ध कराने के लिए भी 20 दिन का समय दिया गया।

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