चम्पावत में खेतों में पानी जमा होने से सब्जी के पौधों को नुकसान

चम्पावत में मई के दूसरे पखवाड़े से जून के पहले पखवाड़े के बीच जिले में 176 एमएम बारिश हो गई है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 03:12 PM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 03:12 PM (IST)
चम्पावत में खेतों में पानी जमा होने से सब्जी के पौधों को नुकसान
चम्पावत में खेतों में पानी जमा होने से सब्जी के पौधों को नुकसान

संवाद सहयोगी, चम्पावत : मई के दूसरे पखवाड़े से जून के पहले पखवाड़े के बीच जिले में 176 एमएम बारिश हो चुकी है। जून में ही अब तक 90 एमएम बारिश हुई है। सबसे ज्यादा बारिश जिले के पर्वतीय इलाकों में हुई है। बारिश के दिनों का अंतराल भी औसतन पांच से आठ दिन का है। कृषि विशेषज्ञ अत्यधिक बारिश को सब्जी पौधों के लिए अच्छा नहीं मान रहे हैं।

जरूरत से ज्यादा बारिश होने से खेतों में पानी जमा हो गया है, जिससे सब्जी के पौधे खराब होने लगे हैं। खेतों में इन दिनों शिमला मिर्च, हरी मिर्च, बैगन, टमाटर, गोभी, छप्पन कद्दू, मूली, ककड़ी, राजमा, सोयाबीन, आलू, अदरक आदि की फसल लहलहा रही है। लेकिन खेतों में पानी भर जाने से पौधों में सड़न व गलन शुरू हो गई है। कुछ दिनों बाद मानसून शुरू होने पर इसकी आशंका और अधिक बढ़ जाएगी। इससे सब्जी उत्पादक काश्तकारों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। जिले के प्रगतिशील काश्तकार तारादत्त खर्कवाल, रमेश चौबे, रमेश राय, हरीश चौबे आदि ने बताया कि बारिश अधिक होने से सब्जी के पौध खराब होने लगे हैं। खासकर राजमा, पत्ता गोभी, मूली, टमाटर, शिमला मिर्च के पौधे जड़ के हिस्से से सड़ने लगे हैं। उन्होंने बताया कि पौधों की पत्तियों में झुलसा रोग जैसे लक्षण भी दिख रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र सुई के प्रभारी अधिकारी एवं फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डा. एमपी सिंह ने बताया कि ज्यादा बारिश सब्जी के पौधों के लिए ठीक नहीं है। खेतों में जल जमाव होने से पौधों में सड़न शुरू हो जाती है। उन्होंने बताया कि अब पौधों को धूप की जरूरत है। उन्होंने काश्तकारों को खेतों में पानी की निकाली के लिए गहरी नाली बनाने और अत्यधिक नमी होने पर खेतों की निराई गुड़ाई न करने की सलाह दी है।

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