पौधारोपण संग जागरों के संरक्षण को आगे आईं महिलाएं

चमोली जिले के देवाल विकासखंड में स्थित सीमांत गांव वाण की महिलाओं ने पर्यावरण संरक्षण के साथ संस्कृति संरक्षण के लिए नई पहल की है। वैसे तो हर वर्ष वाण की महिलाएं पौधारोपण करती हैं लेकिन इस बार पौधारोपण की शुरुआत पारंपरिक जागरों से की गई।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 06:30 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 06:30 PM (IST)
पौधारोपण संग जागरों के संरक्षण को आगे आईं महिलाएं
पौधारोपण संग जागरों के संरक्षण को आगे आईं महिलाएं

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर : चमोली जिले के देवाल विकासखंड में स्थित सीमांत गांव वाण की महिलाओं ने पर्यावरण संरक्षण के साथ संस्कृति संरक्षण के लिए नई पहल की है। वैसे तो हर वर्ष वाण की महिलाएं पौधारोपण करती हैं, लेकिन इस बार पौधारोपण की शुरुआत पारंपरिक जागरों से की गई। महिलाओं ने पर्यावरण संरक्षण के साथ संस्कृति संरक्षण के लिए भी सभी व्यक्तियों को आगे आने का आह्वान किया।

वाण गांव की महिला समूहों ने सामूहिक रूप से रणकधार तोक में देवदार, थुनेर के 400 से अधिक पौधे रोपे। गढ़भूमि, मंसा देवी, नारी शक्ति, कुल देवी भवानी, देवभूमि, जय लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने इस अभियान में भाग लिया। इस बार पौधारोपण से पहले सभी महिलाओं ने पारंपरिक जागरों का गायन किया। इसके बाद अलग-अलग टोलियां बनाकर पौधे रोपे गए। महिला समूह संगठन की अध्यक्ष कमला देवी ने कहा कि पौधारोपण के साथ यदि परंपरागत जागरों को बचाने का कार्य किया जाए तो इससे गढ़वाल की संस्कृति जीवंत होगी और इसका प्रचार-प्रसार भी होगा। महेशी देवी ने कहा कि जितना महत्वपूर्ण कार्य पर्यावरण संरक्षण का है, उतना ही जरूरी परंपरागत जागरों को बचाने का भी।

दूसरी ओर संकल्प अभियान व ईको क्लब बैरागना की ओर से राजकीय इंटर कालेज बैरागना में पौधारोपण अभियान चलाया गया। इस दौरान 100 फलदार पौधों का रोपण किया गया। संकल्प अभियान के संयोजक मनोज तिवाड़ी ने कहा कि रोपे गए पौधों के संरक्षण का कार्य संकल्प अभियान की ओर से किया जाएगा। इस अवसर पर प्रधानाचार्य किशन बड़वाल, सुनीता बिनवाल, मदन बिष्ट, अरविद मैखुरी आदि मौजूद थे।

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