श्रमदान के माध्यम से पेयजल आपूर्ति में जुटे गांव के युवा

बीते सोमवार को नारायणबगड़ के पंती सहित बिनवाल व विनायक गांव में अतिवृष्टि के बाद पेयजल आपूर्ति ठप है। इसके चलते ग्रामीण रोजमर्रा के कार्यों सहित पीने के लिए पानी स्त्रोतों से ढो रहे हैं। इस संबंध में वैकल्पिक व्यवस्था को लेकर ग्रामीणों ने स्वजल परियोजना अधिकारियों से भी संपर्क किया लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 10:53 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 10:53 PM (IST)
श्रमदान के माध्यम से पेयजल आपूर्ति में जुटे गांव के युवा
श्रमदान के माध्यम से पेयजल आपूर्ति में जुटे गांव के युवा

संवाद सूत्र, नारायणबगड़: बीते सोमवार को नारायणबगड़ के पंती सहित बिनवाल व विनायक गांव में अतिवृष्टि के बाद पेयजल आपूर्ति ठप है। इसके चलते ग्रामीण रोजमर्रा के कार्यों सहित पीने के लिए पानी स्त्रोतों से ढो रहे हैं। इस संबंध में वैकल्पिक व्यवस्था को लेकर ग्रामीणों ने स्वजल परियोजना अधिकारियों से भी संपर्क किया, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। शुक्रवार दोपहर बाद बिनवाल व विनायक गांव के युवाओं ने पेयजल योजना की स्वयं मरम्मत करने की ठानी और गांव स्थित बगडगाड गदेरे से रबर के पाइप के जरिये गांव तक पानी पहुंचाने की कवायद शुरू की।

गांव के युवा अभिषेक, राकेश, दीपक, अमित मलेठा ने कहा कि 20 सितंबर को अतिवृष्टि के बाद से विनायक व बिनवाल गांव के 400 से अधिक परिवारों के सामने पेयजल संकट बना है। इसे लेकर प्रशासन व पेयजल योजना निर्माण करने वाली संस्था स्वजल को अवगत कराया गया। लेकिन, पांच दिन बीतने के बावजूद सुध लेने कोई नहीं पहुंचा। इससे निराश ग्रामीणों ने शुक्रवार को स्वयं श्रमदान करने की ठानी। पाइप लेकर ग्रामीण गांव के समीप बगडगाड गदेरे पहुंचे, लेकिन पहाड़ी रास्ता होने व स्त्रोत पर पानी अधिक होने से काम देर से शुरू हुआ। फिलहाल पाइप लाइन डालकर स्त्रोत पर पत्थरों से कुंड का निर्माण किया गया है। माना जा रहा है कि सोमवार तक पानी गांव तक पहुंच जाएगा, जिससे रोजमर्रा के कार्यां के लिए पानी गांव तक पहुंच सकेगा। ग्राम प्रधान शशि देवी ने कहा कि बरसाती पानी पीने से जलजनित रोगों का खतरा बना है। ऐसे में जिम्मेदार विभाग को उचित कार्रवाई कर ग्रामीणों की मदद कर पेयजल योजना की मरम्मत समय पर करनी चाहिए। कहा कि अतिवृष्टि से पूर्व का मंगेरगाड स्त्रोत पर पाइप बह गए हैं, जिससे पानी के लिए दो से तीन किमी की दौड़ लगानी पड़ रही है।

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