चमोली : गुफाओं में रात बिता रहे रैणी गांव के ग्रामीण, बारिश के चलते तीन दिन से है यही दिनचर्या

फरवरी में ऋषिगंगा में आई आपदा के बाद से रैणी के ग्रामीण दहशत में हैं। भय इस कदर है कि बारिश आते ही गांव वाले अपने घरों को छोड़ पहाड़ में गुफाओं में शरण ले रहे हैं। बुधवार को भी वह रात बिताने गुफाओं में गए।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 06:30 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 06:30 AM (IST)
चमोली : गुफाओं में रात बिता रहे रैणी गांव के ग्रामीण, बारिश के चलते तीन दिन से है यही दिनचर्या
चमोली जिले के जोशीमठ के रैणी में उफान पर ऋषिगंगा नदी । जागरण

संवाद सूत्र, जोशीमठ (चमोली)। फरवरी में ऋषिगंगा में आई आपदा के बाद से रैणी के ग्रामीण दहशत में हैं। भय इस कदर है कि बारिश आते ही गांव वाले अपने घरों को छोड़ पहाड़ में गुफाओं में शरण ले रहे हैं। बुधवार से क्षेत्र में हो रही बारिश के चलते ग्रामीण दिन में भले ही घर लौट रहे हों, लेकिन वह रात बिताने गुफाओं में जा रहे हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन व सरकार से मांग की है कि गांव को तत्काल विस्थापित किया जाए।

गांव के पास बह रही ऋषिगंगा नदी से भू-कटाव बढ़ रहा है। रैणी गांव के रहने वाले खीम सिंह बताते हैं कि खेत तो कटाव की भेंट चढ़ ही रहे हैं, मकानों में भी दरार आ चुकी है। पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त है। वह बताते हैं कि गांव में कुल 54 परिवार हैं। इनमें से 14 परिवारों के मकान और खेत तो आपदा में पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। शेष परिवारों की स्थिति भी बेहतर नहीं हैं। वह कहते हैं कि बरसात शुरू हो चुकी है। हालात को देखते हुए अधिकतर ग्रामीणों ने अपने बच्चों को रिश्तेदारों के पास भेज दिया है। ग्रामीण अपने घरों में रात बिताने से डर रहे हैं। खीम सिंह के अनुसार दिन में तो खेतों में काम करने के लिए लोग गांव आ रहे हैं, लेकिन शाम को वे आसपास की गुफाओं में चले जाते हैं। इनमें ज्यादातर वे ग्रामीण हैं जिनके घरों में दरारें आ चुकी हैं अथवा जिनके मकान नदी के आसपास हैं।

दूसरी ओर, जोशीमठ के तहसीलदार चंद्रशेखर वशिष्ठ ने बताया कि भूगर्भ विज्ञानियों की टीम गांव का सर्वे कर रही है। जल्द ही इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। इसके बाद ही विस्थापन की प्रक्रिया शुरू हो पाएगी। इसी वर्ष सात फरवरी को ऋषिगंगा में आए सैलाब में रैणी के पास बनी ऋषि गंगा जल विद्युत परियोजना तबाह हो गई थी। हादसे में 205 लापता हुए थे, इनमें से अब तक 83 शव मिले हैं। शेष 122 का अभी तक कोई पता नहीं चला है।

पुल बचाने को ऋषिगंगा की धारा मोड़ी

जोशीमठ से मलारी को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर बना बेली ब्रिज ऋषिगंगा नदी के कटाव से खतरे में है। अब सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने पुल की सुरक्षा के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। बीआरओ ने नदी की धारा को मोड़कर सुरक्षा दीवार का निर्माण आरंभ कर दिया है। सात फरवरी को ऋषिगंगा में आई बाढ़ से पुल बह गया था। इसी पुल से सीमा क्षेत्र के अलावा सीमांत 20 से अधिक गांवों की आवाजाही भी होती थी। बाद में सेना ने अस्थायी पुल तैयार किया। इसके बाद बीआरओ ने यहां बेली ब्रिज का निर्माण किया। बारिश से ऋषिगंगा का जल स्तर बढ़ने से ब्रिज के नीचे कटाव शुरू हो गया है। बीआरओ के कमांडर मनीष कपिल ने बताया कि ऋषिगंगा की धारा को मोड़ने के बाद जल्द ही सुरक्षा दीवार तैयार कर ली जाएगी।

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