अब रैणी का विस्थापन ही एकमात्र विकल्प, ऋषिगंगा नदी में आए सैलाब से सहमे ग्रामीण उठा रहे ये मांग

शियर टूटने से नीती घाटी के रैणी गांव में मची तबाही ने ग्रामीणों को झकझोर कर रख दिया है। बच्चे जवान बूढ़े व महिलाएंसभी सहमे हुए हैं और गांव के विस्थापन की मांग कर रहे हैं। पत्थरों की चपेट में आकर लगभग सभी मकानों में दरार आ गई हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Wed, 10 Feb 2021 10:30 AM (IST) Updated:Wed, 10 Feb 2021 10:30 AM (IST)
अब रैणी का विस्थापन ही एकमात्र विकल्प, ऋषिगंगा नदी में आए सैलाब से सहमे ग्रामीण उठा रहे ये मांग
अब रैणी का विस्थापन ही एकमात्र विकल्प।

संवाद सहयोगी, तपोवन (चमोली)। ग्लेशियर टूटने से नीती घाटी के रैणी गांव में मची तबाही ने ग्रामीणों को झकझोर कर रख दिया है। बच्चे, जवान, बूढ़े व महिलाएं,सभी सहमे हुए हैं और गांव के विस्थापन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि पहाड़ से बरसे पत्थरों की चपेट में आकर लगभग सभी मकानों में दरार आ गई हैं। लिहाजा, अब रैणी उनके लिए सुरक्षित नहीं रहा। 

रविवार को ऋषिगंगा में आए सैलाब से रैणी के ग्रामीण अभी भी सहमे हुए हैं। इस भय के कारण दो रात उन्होंने जंगल में खुले आसमान के नीचे बिताईं और अब प्राथमिक विद्यालय रैणी में बनाए राहत शिविर में रह रहे हैं। उनकी मांग है जल्द से जल्द गांव का विस्थापन किया जाए। क्योंकि, जिस पहाड़ी पर गांव बसा है, वह कमजोर पड़ गई है। गांव की 74-वर्षीय मंजू देवी कहती हैं कि पूरे गांव में दहशत का माहौल है। यदि गांव का जल्द से जल्द विस्थापन नहीं हुआ तो ग्रामीण चुप नहीं बैठने वाले।

65-वर्षीय तुलसी देवी कहती हैं कि फिलहाल गांव वाले राहत शिविर में रह रहे हैं। लेकिन, ऐसा लंबा नहीं चल सकता। इसलिए सरकार को गांव के विस्थापन पर जल्द से जल्द फैसला लेना चाहिए। देवाली देवी कहती हैं कि ग्रामीण चौतरफा संकट से घिरे हुए हैं। एक तरफ वो पहाड़ी से दोबारा आफत टूटने की आशंका से दहशत में हैं, तो वहीं इस तबाही ने उनके घरों को भी सुरक्षित नहीं छोड़ा। ऐसे में किसी के लिए भी गांव में रहना संभव नहीं है।

नेताओं से त्रस्त रैणी के ग्रामीण

रैणी के ग्रामीण सबसे ज्यादा त्रस्त राजनीतिक दलों के उन नेताओं से हैं, जो उनकी पीड़ा सुनने नहीं, बल्कि उनके साथ फोटो खिंचाने रैणी पहुंच रहे हैं। 74-वर्षीय मंजू देवी कहती हैं कि नेता यहां आकर फोटो खिंचाने को ही अपनी जिम्मेदारी मान बैठे हैं। नेताओं के पहुंचने से राहत कार्य भी बाधित हो रहे हैं। उधर, राहत एवं बचाव कार्य में जुटी एजेंसियां भी दबी जुबान यह मान रही हैं कि नेताओं की आवाजाही से कार्य प्रभावित हो रहे हैं। 

मंगलवार को रैणी व तपोवन पहुंचे नेतागण

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, विधायक मनोज रावत (केदारनाथ), भरत सिंह चौधरी (रुद्रप्रयाग), पूर्व विधायक राजेंद्र भंडारी व गणेश गोदियाल, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष खंडूड़ी, जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह (रुद्रप्रयाग) और रजनी भंडारी (चमोली) व भाजपा महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश महामंत्री सरला खंडूड़ी। 

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