मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंची दिव्यांग सुलोचना की पीड़ा

हरीश बिष्ट गोपेश्वर पिता की मौत के बाद परिवार से अलग की गई 30 वर्षीय दिव्यांग सुलोचना को ग

By JagranEdited By: Publish:Mon, 11 Oct 2021 03:00 AM (IST) Updated:Mon, 11 Oct 2021 03:00 AM (IST)
मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंची  दिव्यांग सुलोचना की पीड़ा
मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंची दिव्यांग सुलोचना की पीड़ा

हरीश बिष्ट, गोपेश्वर

पिता की मौत के बाद परिवार से अलग की गई 30 वर्षीय दिव्यांग सुलोचना को गोपेश्वर के पीजी कालेज सभागार में आयोजित मुख्यमंत्री के जनता मिलन कार्यक्रम में भी न्याय नहीं मिला। मुख्यमंत्री के गोपेश्वर आगमन की सूचना के बाद सुलोचना सुबह आठ बजे से आयोजन स्थल पर सीएम का इंतजार करती रही। दोपहर में जनता मिलन कार्यक्रम शुरू हुआ तो भारी भीड़ के चलते इस दिव्यांग युवती का ज्ञापन सीएम तक नहीं पहुंच पाया। निराश मन से वापस लौटी सुलोचना ने बताया कि अब तो उसका जीवन भगवान भरोसे है।

घाट विकासखंड के लुंतरा गांव में अनुसूचित जाति बस्ती की रहने वाली 30 वर्षीय सुलोचना 15 साल से दर-दर की ठोकरें खा रही है। सुलोचना के मुताबिक उसके घर में मां के अलावा छह भाई-बहिन हैं। वह बचपन से दिव्यांग है। 15 वर्ष पूर्व पिता की मौत के बाद स्वजनों के सामने उसकी दिव्यांगता आड़े आई तो उसे घर से बेदखल कर दिया। तब घाट में संचालित ईसाई संस्था ने उसे आसरा दिया। कुछ साल तक यहां रहकर उसने सिलाई का काम सीखा। बाद में उनकी मदद से ही वह गोपेश्वर आई और एक अन्य साथी युवती के साथ घर पर ही सिलाई कर अपना पेट पालने लगी। सुलोचना कहती हैं कि उनकी साथी युवती का विवाह हुआ तो फिर वह अकेली हो गई। आज तक समाज का कोई भी व्यक्ति उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया। सुलोचना ने बताया कि अपनी पीड़ा उन्होंने जीजा रंजीत कन्याल के समक्ष रखी तो वह इस दिव्यांग युवती की पीड़ा लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के गोपेश्वर में हुए एक जनता मिलन कार्यक्रम में पहुंचे। तब उन्हें सकारात्मक भरोसा दिया गया। परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी माह वह अपने जीजा के साथ मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी पीड़ा पहुंचाने गई। परंतु मुख्यमंत्री से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई।

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