प्रशासन ने अनशनकारी को जबरन उठाया, ग्रामीण भड़के
जोशीमठ-मलारी राष्ट्रीय राजमार्ग को खोलने और भारत-तिब्बत-चीन सीमा से लगे भोटिया जनजाति के गांवों में विद्युत सुविधा उपलब्ध कराने सहित विभिन्न मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे पूर्व दायित्वधारी ठाकुर सिंह राणा को प्रशासन ने बुधवार को जबरन उठाकर अस्पताल में भर्ती करा दिया।
संवाद सूत्र, जोशीमठ: जोशीमठ-मलारी राष्ट्रीय राजमार्ग को खोलने और भारत-तिब्बत-चीन सीमा से लगे भोटिया जनजाति के गांवों में विद्युत सुविधा उपलब्ध कराने सहित विभिन्न मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे पूर्व दायित्वधारी ठाकुर सिंह राणा को प्रशासन ने बुधवार को जबरन उठाकर अस्पताल में भर्ती करा दिया। इससे स्थानीय निवासी भड़क गए और उन्होंने अस्पताल परिसर में ही धरना शुरू कर दिया। हालांकि, एसडीएम जोशीमठ कुमकुम जोशी की ओर से बिजली-पानी, स्वास्थ्य समेत सभी मांगों पर दस दिन में कार्रवाई का आश्वासन देने पर धरना समाप्त कर दिया गया।
जोशीमठ की उपजिलाधिकारी कुमकुम जोशी बुधवार को आमरण अनशन स्थल पर पहुंची और ठाकुर सिंह राणा से अनशन समाप्त करने का आग्रह किया, लेकिन राणा ने अनशन समाप्त करने से मना कर दिया। उनका कहना था कि सीमांत गांवों की लगातार उपेक्षा हो रही है। 16 गांवों में बिजली गुल है, 12 दिन से ज्यादा समय से मरखुड़ा में हाईवे बंद पड़ा है। इससे स्थानीय निवासियों को आवागमन में दिक्कत हो रही है। यही नहीं सेना और आइटीबीपी जवान भी रास्ता बंद होने से परेशान हैं, लेकिन प्रशासन इतने दिनों बाद भी हाईवे नहीं खोल पा रहा है। राणा ने साफ कह दिया कि जब तक मांगें नहीं मानी जाएंगी, तब तक वह अनशन नहीं समाप्त करेंगे, इस पर एसडीएम को बैरंग लौटना पड़ा।
इसके बाद प्रशासन सख्ती पर उतर आया और अनशनकारी को जबरन उठाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करा दिया। प्रशासन की टीम के पीछे ही आंदोलनकारी भी अस्पताल पहुंचे और सरकार व प्रशासन के विरोध में नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गए। समर्थन में ब्लाक प्रमुख हरीश परमार, नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार, दिगंबर बिष्ट, सुरभि शाह, देवेश्वरी शाह, नरेंद्र राणा, अतुल सती, हरेंद्र राणा, जयदीप मेहता, कमल रतूड़ी ने धरना देकर विरोध दर्ज किया। वहीं बाद में एसडीएम के आश्वासन के बाद धरना समाप्त कर दिया गया।