कमला ने अपने परंरागत ज्ञान प्राकृतिक स्रोत को दिया पुनर्जीवन, दूसरों के लिए बनीं प्रेरणा
Water Conservation यूं तो जल संरक्षण को लेकर सरकारी स्तर पर भी तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। इन सबके बीच ग्रामसभा नैणी के झुरकंडे गांव की कमला भंडारी ने अपने परंरागत ज्ञान से न केवल सूख रहे पेयजल स्रोत को पुनर्जीवित कर उसमें पानी का डिस्चार्ज बढ़ाया।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर। Water Conservation यूं तो जल संरक्षण को लेकर सरकारी स्तर पर भी तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। इन सबके बीच ग्रामसभा नैणी के झुरकंडे गांव की कमला भंडारी ने अपने परंरागत ज्ञान से न केवल सूख रहे पेयजल स्रोत को पुनर्जीवित कर उसमें पानी का डिस्चार्ज बढ़ाया, बल्कि वर्षा जल संग्रहित कर बागवानी और सब्जी उत्पादन कर गांव की अन्य महिलाओं को भी प्रेरणा दी।
कर्णप्रयाग विकासखंड के ग्राम सभा नैणी के झुरकंडे गांव निवासी 50 वर्षीय कमला भंडारी गांव के पास संयो तोक में धान की खेती करती थी। लेकिन, समय के साथ उनके खेतों तक सिंचाई के लिए आने वाले प्राकृतिक स्रोत का पानी सूखता गया और खेती प्रभावित होने लगी। इसके बाद कमला ने अपने परंपरागत ज्ञान से खेतों के पास प्राकृतिक स्रोत के पास पौधारोपण किया। बारिश का पानी धरती में समाए, इसके लिए पहाड़ी में गड्ढे कर जल संरक्षण का प्रयास किया। आखिरकार पांच साल की मेहनत रंग लाई और प्राकृतिक स्रोत से पानी मिलने लगा।
वहीं, बारिश का पानी भी टैंक में लाकर उससे सिंचाई शुरू कर दिया। पानी संरक्षित करने के लिए कमला भंडारी ने खेतों में टैंक बनाकर जल को आवश्यकतानुसार खर्च कर उसके अनुसार खेतों में फसल बोने का निर्णय लिया। परंपरागत खेती छोड़ किया सब्जी उत्पादन कमला भंडारी बताती हैं, उन्होंने अपने 20 से अधिक नाली भूमि में परंपरागत कृषि से हटकर एक हिस्से में माल्टा, नींबू, सेब, केले, आम जैसे फलदार पौधों का रोपण किया। साथ ही सब्जी उत्पादन कर ग्रामीणों को भी रोजागर की राह दिखाई।
कमला देवी के पास दस हजार लीटर पानी हर वक्त संरक्षित रहता है। अब गांव की अन्य महिलाएं भी कमला के प्रयास से स्वयं सहायता समूह बनाकर अपने खेतों में सब्जी उत्पादन में जुटी हैं। विपणन के लिए राजेश्वरी स्वयं सहायता समूह बनाकर पास के बाजार में सब्जी बेची जाती है। इसके उन्हें अच्छी-खासी आय हो रही है।
नैणी गांव की ग्राम प्रधान ज्योति कैलखुरा कहती हैं, महिलाओं की ओर से जल संरक्षण की दिशा में किया गया प्रयास सराहनीय है। जल संरक्षण के बाद खेती कर महिलाएं आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रही हैं। वहीं, जल संरक्षण में जुटे हिमाद संस्था के कार्यकर्ता उमाशंकर बिष्ट कहते हैं, महिलाओं को जैविक कृषि उत्पाद बेचने में मदद की जा रही है। उनका प्रयास दूसरों के लिए भी रास्ते खोल रहा है।
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