अपनों की तलाश के साथ बना रहे रास्ते

ऋषिगंगा में आए सैलाब में जल प्रलय में लापता व्यक्तियों की सूची में कुछ मजदूर भी शामिल हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 21 Feb 2021 09:44 PM (IST) Updated:Sun, 21 Feb 2021 09:44 PM (IST)
अपनों की तलाश के साथ बना रहे रास्ते
अपनों की तलाश के साथ बना रहे रास्ते

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: ऋषिगंगा में आए सैलाब में जल प्रलय में लापता व्यक्तियों की सूची में कुछ मजदूर भी शामिल हैं। नेपाल मूल के इन मजदूरों की खोज के लिए उनके स्वजन जोशीमठ पहुंचे हैं। नदी किनारे अपनों की खोजबीन के साथ यहां क्षतिग्रस्त रास्तों की मरम्मत कार्य में भी लगे हुए हैं।

समीर बहादुर जल विद्युत परियोजना में मजदूरी का कार्य करता था। उसके साथ 24 अन्य मजदूर भी कार्य कर रहे थे। जल प्रलय में अन्य तो सुरक्षित बच निकले, लेकिन समीर बहादुर लापता है। ऐसे ही कुछ अन्य मजदूरों के भी लापता होने की सूचना है। नेपाल से अपनों की खोज में आए विष्णु मल्ला बहादुर मूल रूप से जिला प्यूंठान के रसबरा गांव के रहने वाले हैं। अपने निकटस्थ रिश्तेदार के लापता होने के बाद वह गांव के आठ अन्य व्यक्तियों के साथ तपोवन पहुंचे हैं। लेकिन इस दौरान नदी के किनारे खोजबीन के लिए जाते वक्त जगह-जगह रास्ते क्षतिग्रस्त देखकर वह इन्हें बनाने में जुट गए। अभी तक उनकी टीम ने जुआग्वाड़ जाने का रास्ता बनाया है। हालांकि इसके लिए मजदूरी भी ली गई है।

नेपाल के नौगानी गांव के सम्राट बहादुर गुरंग भी इसी टीम का हिस्सा हैं। उनका कहना है कि साथी की खोज के लिए वे भले ही यहां आए हैं। लेकिन यहां पर आपदा के बाद मजदूर घरों को पलायन कर गए हैं। डर के मारे यहां मजदूर काम नहीं करना चाहते, लिहाजा आपदा प्रभावितों की समस्या को देखकर उन्हें लापता साथी की खोजबीन के साथ ग्रामीणों के लिए गांव जाने के रास्ते व खाद्य सामग्री पहुंचाने का काम कर राहत और बचाव कार्य में अपना योगदान देने की खुशी है। प्यूंठान जिले के ही रेशम बहादुर का कहना है कि जुआग्वाड़ जाने का रास्ता इतना खतरनाक था कि यहां पर कोई भी कार्य करने को तैयार नहीं था। हमने न केवल गांव का रास्ता बनाकर आवाजाही सुचारु कराई बल्कि गांव तक खाद्य सामग्री भी पहुंचाई। भले ही ग्रामीणों ने उन्हें मजदूरी दी। कहना है कि अब वे आपदा प्रभावित क्षेत्र में जहां भी राहत और बचाव का कार्य होगा उसमें भागीदारी निभाते रहेंगे।

chat bot
आपका साथी