वजूद में आया उत्तर भारत का पहला आर्किड संरक्षण केंद्र

चमोली जिले के अंतर्गत मंडल में उत्तर भारत का पहला आर्किड संरक्षण केंद्र वजूद में आ गया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 10:04 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 10:04 PM (IST)
वजूद में आया उत्तर भारत का पहला आर्किड संरक्षण केंद्र
वजूद में आया उत्तर भारत का पहला आर्किड संरक्षण केंद्र

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर (चमोली) : चमोली जिले के अंतर्गत मंडल में उत्तर भारत का पहला आर्किड संरक्षण केंद्र वजूद में आ गया है। वन विभाग के अनुसंधान वृत्त की दो साल की मेहनत के बाद वन पंचायत खल्ला की छह एकड़ भूमि में स्थापित यह केंद्र शुक्रवार को जनता को समर्पित किया गया। इस केंद्र में आर्किड की 70 प्रजातियां संरक्षित की गई हैं। साथ ही सैलानियों को आर्किड की जानकारी देने के लिए सवा किमी लंबी ट्रेल (पैदल मार्ग) भी बनाई गई है। बताया गया कि पूर्वाेत्तर राज्यों की भांति उत्तराखंड में आर्किड को पर्यटन विकास के साथ ही स्थानीय निवासियों की आजीविका से जोड़ा जाएगा।

वन विभाग के अनुसंधान वृत्त ने वर्ष 2019 में खल्ला वन पंचायत में आर्किड संरक्षण केंद्र की स्थापना के लिए कवायद शुरू की। शनिवार को मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान वृत्त) संजीव चतुर्वेदी की मौजूदगी में भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण देहरादून के संयुक्त निदेशक एसके सिंह ने इस केंद्र का उद्घाटन किया। इस मौके पर आइएफएस चतुर्वेदी ने बताया कि केंद्र चार भागों में विभक्त है। इनमें संरक्षण व प्रदर्शन क्षेत्र, सवा किमी लंबी ट्रेल, इंटरप्रिटेशन सेंटर व नर्सरी शामिल है।

आर्किड संरक्षण केंद्र में आने वालों को देश-दुनिया में पाई जाने वाली आर्किड की प्रजातियों व इनके इतिहास के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी। चतुर्वेदी ने बताया कि संरक्षण केंद्र का उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही स्थानीय निवासियों की आजीविका को सशक्त करना है। उन्होंने कहा कि सिक्किम समेत पूर्वाेत्तर राज्यों ने आर्किड के माध्यम पर्यटन और आजीविका के क्षेत्र में नई इबारत लिखी है। जल्द ही मंडल क्षेत्र के निवासियों को आर्किड से संबंधित अध्ययन के लिए पूर्वात्तर राज्यों के भ्रमण पर भेजा जाएगा।

भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के संयुक्त निदेशक एसके सिंह ने कहा कि आर्किड के लिहाज से मंडल क्षेत्र समृद्ध है। यहां भूमि के साथ बांज, तुन, अंयार के पेड़ों पर उगने वाली आर्किड की प्रजातियां मौजूद हैं। इनका वनस्पति जगत में वही स्थान है, जो जंतु जगत में बाघ का है। मंडल घाटी में बड़े पैमाने पर आर्किड की बहुलता दर्शाती है कि यहां प्रकृति की सेहत दुरुस्त है। अब देश-विदेश के आर्किड प्रेमी मंडल में आकर प्रकृति के इस उपहार से रूबरू हो सकेंगे। इस अवसर पर रेंज अधिकारी हरीश नेगी, जेआरएफ मनोज सिंह आदि मौजूद थे।

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राज्य में आर्किड की 239 प्रजातियां

विश्वभर में आर्किड की 20 हजार से ज्यादा और भारत में 1300 प्रजातियां पाई जाती हैं। उत्तराखंड में पाई जाने वाली आर्किड प्रजातियों की संख्या 239 है। पिथौरागढ़, जौलजीबी, गौरी घाटी में 127 और मंडल क्षेत्र में आर्किड की 50 से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं।

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