चमोली: पहाड़ दरकने से ग्रामीण भयभीत, गुफा में बिताई रात; तेज गड़गड़ाहट होते ही सिहर उठते हैं
Landslide In Chamoli रैणी गांव के पास स्थित जुग्जू गांव में पहाड़ दरकने का सिलसिला जारी है। शुक्रवार की रात गांव के पास की पहाड़ी से भूस्खलन शुरू हो गया। मलबे के साथ (विशाल पत्थर) बोल्डर गांव के पास तक आ रहे हैं।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर (चमोली)। Landslide In Chamoli चमोली जिले की नीती घाटी में रैणी गांव के पास स्थित जुग्जू गांव में पहाड़ दरकने का सिलसिला जारी है। शुक्रवार की रात गांव के पास की पहाड़ी से भूस्खलन शुरू हो गया। मलबे के साथ (विशाल पत्थर) बोल्डर गांव के पास तक आ रहे हैं। भयभीत ग्रामीणों ने गांव छोड़ पहाड़ में बनी गुफाओं में शरण ली। इससे पहले पिछले माह 31 अगस्त को भी भूस्खलन के दौरान लोग गांव छोड़कर जंगल की ओर भाग गए थे। हालांकि शाम तक वे घर लौट आए थे।
जोशीमठ ब्लाक का जुग्जू गांव रैणी से महज एक किलोमीटर दूर है। रैणी में इसी साल फरवरी में आए ऋषिगंगा में आए सैलाब में ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट तबाह हो गया था। हादसे में 205 लोग मलबे में दफन हो गए थे। इसके बाद से ग्रामीण सहमे हुए हैं। इलाके में पहाड़ों के दरकने का सिलसिला बना हुआ है। जूग्जू गांव के रहने वाले पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य संग्राम सिंह ने बताया 31 अगस्त को हुए भूस्खलन के बाद से ग्रामीण सजग हैं।
शुक्रवार की रात को एकाएक तेज गड़गड़ाहट सुन ग्रामीण घरों से बाहर निकले। सामने धूल के गुबार का गुबार नजर आ रहा था। घबराए ग्रामीण सुरक्षित स्थान की ओर भागे और रात बिताने के लिए गुफाओं में शरण ली। उन्होंने बताया कि शनिवार सुबह वे गांव लौटे, लेकिन खतरा बना हुआ है। इसीलिए दिनभर के काम निपटाने के बाद प्रभावित लोग फिर गुफाओं में चले गए। उन्होंने बताया कि गांव में 16 परिवारों में से छह गुफा में रहने को मजबूर हैं।
वर्ष 1994 से विस्थापन की मांग की जा रही है, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। दूसरी ओर चमोली के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी ने बताया कि गांव का भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रशासन की टीम मौके पर गई है।
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