जोशीमठ-मलारी हाईवे की नहीं सुधर रही सेहत

प्रतिवर्ष सड़क निर्माण और मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये की धनराशि खर्च करने वाला सीमा सड़क संगठन भारत-चीन सीमा पर आवाजाही का एकमात्र साधन जोशीमठ-मलारी हाईवे की स्थिति नहीं सुधार पाया। जोशीमठ से लेकर मलारी तक कई स्थानों पर सड़क क्षतिग्रस्त पड़ी है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 03:00 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 03:00 AM (IST)
जोशीमठ-मलारी हाईवे की नहीं सुधर रही सेहत
जोशीमठ-मलारी हाईवे की नहीं सुधर रही सेहत

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: प्रतिवर्ष सड़क निर्माण और मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये की धनराशि खर्च करने वाला सीमा सड़क संगठन भारत-चीन सीमा पर आवाजाही का एकमात्र साधन जोशीमठ-मलारी हाईवे की स्थिति नहीं सुधार पाया। जोशीमठ से लेकर मलारी तक कई स्थानों पर सड़क क्षतिग्रस्त पड़ी है। सड़क की मरम्मत के बजाय सीमा सड़क संगठन क्षतिग्रस्त स्थानों पर छोटे-छोटे पत्थरों के संकेतक लगाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रहा है। इससे हाईवे पर दुर्घटना का अंदेशा बना हुआ है। हालांकि सीमा सड़क संगठन के अधिकारी सभी स्थानों पर जल्द ही सड़क की मरम्मत की बात कर रहे हैं।

सीमांत चमोली जिला सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। हाल ही में चीन सीमा से लगी भारत की अग्रिम सैन्य चौकी बाड़ाहोती में चीनी सैनिकों की आवाजाही की खबरों के बाद सुरक्षा एजेंसियां भी अलर्ट हो गई हैं। चीन सीमा के आसपास क्षेत्र में सड़क और रेल के अलावा हवाई सेवाओं का विस्तार भी कर चुका है। लेकिन, सीमा सड़क संगठन सीमावर्ती क्षेत्र की आवाजाही के लिए बनी एकमात्र सड़क जोशीमठ-मलारी हाईवे की स्थिति को नहीं सुधार पा रहा है। जबकि, रोजाना इस सड़क से सैन्य वाहनों की आवाजाही के अलावा सीमांत गांवों के ग्रामीणों की भी आवाजाही होती है। जोशीमठ से आगे सलधार, बनचुरा, रैणी, तपोवन में नीति-मलारी हाईवे की स्थिति ज्यादा खतरनाक बनी हुई है। इन स्थानों पर लगातार भूस्खलन हो रहा है। वर्षों से स्थानीय निवासी भूस्खलन जोनों पर सड़क को चौड़ा करने की मांग भी कर रहे हैं। भूस्खलन वाले स्थानों पर सड़क की मरम्मत के बजाय सीमा सड़क संगठन ने क्षतिग्रस्त सड़क के किनारों पर छोटे-छोटे पत्थर लगा दिए हैं। रात को आवाजाही करने वाले वाहनों के लिए ये स्थान खतरनाक साबित हो सकते हैं। सीमांत गांव बाम्पा के पूर्व प्रधान धर्मेंद्र सिंह पाल का कहना है कि सीमांत गांवों के ग्रामीण सीमांत गांवों में रहकर द्वितीय रक्षा पंक्ति के रूप में कार्य करते हैं। सामरिक लिहाज से महत्वपूर्ण इस सड़क को सुधारने की मांग कई बार सीमा सड़क संगठन से की जा चुकी है। इससे न केवल सीमावर्ती गांवों के ग्रामीणों, बल्कि सैन्य वाहनों की आवाजाही भी समय-समय पर प्रभावित होती रही है। सीमा सड़क संगठन के कमांडर मनीष कपिल का कहना है कि क्षतिग्रस्त हाईवे की मरम्मत के लिए कार्रवाई की जा रही है। उनका कहना है कि जिन स्थानों पर भूस्खलन हो रहा है, वहां समय-समय पर मशीनें भेजकर सड़क खोलकर आवाजाही को सुगम किया जाता रहा है।

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