सड़क से जुड़ेंगे चीन सीमा पर स्थित मलारी और मिलम, चमोली-पिथौरागढ़ की दूरी कम करेगी 72 किमी लंबी सड़क
Indo China Border भारत-चीन सीमा पर स्थित चमोली जिले की मलारी घाटी और पिथौरागढ़ जिले का मिलम क्षेत्र जल्द ही सड़क से जुड़ जाएगा। सड़क परिवहन मंत्रालय ने 72 किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण के लिए स्वीकृति दे दी है।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर (चमोली)। Indo China Border भारत-चीन सीमा पर स्थित चमोली जिले की मलारी घाटी और पिथौरागढ़ जिले का मिलम क्षेत्र जल्द ही सड़क से जुड़ जाएगा। सड़क परिवहन मंत्रालय ने 72 किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण के लिए स्वीकृति दे दी है। इस सड़क का निर्माण सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) करेगा। सड़क बनने से चमोली और पिथौरागढ़ के बीच आवाजाही सुगम हो जाएगी। उम्मीद जताई जा रही है कि फरवरी के बाद निर्माण कार्य शुरू हो सकता है।
उत्तराखंड की करीब 345 किमी लंबी सीमा चीन से सटी है। इसमें से करीब 135 किलोमीटर पिथौरागढ़ और 100 किलोमीटर चमोली जिले में है। अभी सड़क से चमोली का जिला मुख्यालय गोपेश्वर और पिथौरागढ़ के बीच 300 किलोमीटर की दूरी है। नई सड़क के बनने से यह दूरी करीब दो सौ किलोमीटर रह जाएगी। पौड़ी गढ़वाल सीट के सांसद तीरथ सिंह रावत ने बताया कि केंद्र सरकार सीमांत क्षेत्रों में सड़कों का विकास कर रही है। इसी के तहत मलारी के सुमना (समुद्रतल से ऊंचाई 11400 फीट) नामक स्थान से मिलम के टोपीढुंगा (समुद्रतल से ऊंचाई 15000 फीट) तक सड़क तैयार की जानी है।
दरअसल, मलारी-मिलम ट्रैक रोमांच के शौकीनों को हमेशा आकर्षित करता रहा है। करीब 90 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर मलारी से मिलम पहुंचने में सात से आठ दिन का समय लगता है। हालांकि बार्डर पर स्थित होने के कारण ट्रैकिंग के लिए प्रशासन की अनुमति जरूरी है। सड़क बनने से इस क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों में भी इजाफा होगा।
उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता मोहन सिंह रावत गांववासी स्वयं मलारी से मिलम तक ट्रैकिंग कर चुके है। वह कहते हैं कि इस सड़क के बनने से पर्यटन के क्षेत्र में और तरक्की होगी। इसके साथ ही यह सड़क भविष्य में कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगी।
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