दस्तूर में कटौती से देवस्थानम बोर्ड सवालों में

उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की कार्यप्रणाली से बदरीनाथ धाम समेत अन्य मंदिरों से जुड़े हक-हकूकधारियों में आक्रोश है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 10:51 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 10:51 PM (IST)
दस्तूर में कटौती से देवस्थानम बोर्ड सवालों में
दस्तूर में कटौती से देवस्थानम बोर्ड सवालों में

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की कार्यप्रणाली से बदरीनाथ धाम समेत अन्य मंदिरों से जुड़े हक-हकूकधारियों में आक्रोश है। उन्हें पीढि़यों से भगवान की विग्रह डोली उठाने व भोग प्रसाद बनाने की एवज में मिलने वाले दस्तूर (खाद्यान्न) में कटौती कर दी गई है। साथ ही उनके अन्य अधिकारों को लेकर भी संशय की स्थिति है।

प्रदेश सरकार ने चारधाम समेत अन्य मंदिरों में व्यवस्था सुधार के लिए वर्ष 2019 में देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया। वर्ष 2020 में बोर्ड के प्रबंधन में ही बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गए। लेकिन, तब से अब तक आदि शंकराचार्य की गद्दी डोली ले जाने वाले हक-हकूकधारियों को दस्तूर के रूप में दिया जाने वाला खाद्यान्न नहीं मिला। वहीं, नृसिंह मंदिर समेत उसके अधीन अन्य मंदिरों के भोग को दिए जाने वाले खाद्यान्न में कटौती के चलते हक-हकूकधारियों को मिलने वाला दस्तूर भी घटा दिया गया।

नृसिंह मंदिर के हक-हकूकधारी भागवत पंवार के अनुसार पंवार थोक व बेंजवाड़ी थोक के अलावा डिमरी व अन्य हक-हकूकधारी नृसिंह मंदिर समेत विभिन्न मंदिरों में भोग आदि व्यवस्थाएं संभालते हैं। इन मंदिरों में दुर्गा मंदिर (जोशीमठ), विष्णु मंदिर (विष्णु प्रयाग) व सीता माता मंदिर (चाई) प्रमुख हैं। बताया कि पुजारी को छोड़कर अन्य हक-हकूकधारी मंदिरों में निश्शुल्क सेवा करते हैं। इसके एवज में उन्हें पीढि़यों से दस्तूर के रूप में भोग के चावल, दाल, घी आदि सामग्री का एक निश्चित हिस्सा मिलता रहा है। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के रहते उन्हें नियमित रूप से दस्तूर मिलता था। लेकिन, देवस्थानम बोर्ड के अस्तित्व में आने के बाद इसमें कटौती कर दी गई।

पंवार ने बताया कि दस्तूर के रूप में हक-हकूकधारियों को रोजाना 31 किलो 700 ग्राम चावल मिलते थे। इसमें से नौ किलो चावल साधू-संत व असहाय व्यक्तियों को भोग के रूप में बाट दिए जाते थे। शेष खाद्यान्न हक-हकूकधारियों में बंटता था। लेकिन, बोर्ड गठित होने के बाद पहले पांच किलो और अब दो किलो चावल ही हक-हकूकधारियों को मिल रहे हैं। इसी तरह आदि शंकराचार्य की गद्दी डोली ले जाने की एवज में कपाट खुलने व बंद होने पर बतौर दस्तूर दिए जाने वाले 19 किलो चावल में भी कटौती कर दी गई है।

सुनील गांव निवासी बेंजवाड़ी थोक के सोहन बेंजवाड़ी कहते हैं कि बोर्ड गठन के बाद से परंपराओं के निर्वहन में लगातार दिक्कतें आ रही हैं। दस्तूर व हक-हकूक को लेकर बोर्ड की ओर से स्थिति स्पष्ट नहीं की जा रही। उधर, देवस्थानम बोर्ड के सदस्य एवं बदरीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट का कहना है कि हक-हकूकधारियों को पीढि़यों से दी जाने वाली सुविधाएं जारी रहेंगी। इनमें किसी तरह की कटौती नहीं होगी। कहा कि इस संबंध में जल्द मुख्यमंत्री से भी वार्ता की जाएगी।

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