ओलावृष्टि से फलों की बौरें झड़ी, किसान दुखी
चमोली जिले में भले ही बारिश और बर्फबारी नकदी फसलों के लिए वरदान के बजाय नुकसान हो रहाहै।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: चमोली जिले में भले ही बारिश और बर्फबारी नकदी फसलों के लिए वरदान मानी जाती रही हो, लेकिन बर्फबारी के बीच भारी ओलावृष्टि होने से इस साल काश्तकारों को नुकसान की आशंका बनी हुई है। काश्तकारों ने उद्यान समेत कृषि विभाग से हालिया नुकसान का आकलन करने की मांग भी की है।
चमोली जिले का अधिकतर हिस्सा नकदी फसलों के उत्पादन के लिए जाना जाता है। जोशीमठ, घाट, देवाल व दशोली में सेब, खुमानी, पूलम, आडू के अलावा अन्य नकदी फलों का उत्पादन प्रतिवर्ष किया जाता है। यहां के सेब तो उत्तराखंड के अलावा बाहरी राज्यों की मंडियों तक जाते हैं। जोशीमठ जिले का अग्रणी सेब उत्पादक विकास खंड है। फरवरी व मार्च माह में हुई बर्फबारी से काश्तकार इसलिए खुश थे कि इस बार उनकी नकदी फसलें बेहतर होंगी और उनकी आर्थिकी मजबूत होगी। परंतु बीते दो दिनों से लगातार ओलावृष्टि हो रही है। इन दिनों आडू, खुमानी, पूलम समेत अन्य फलों की बौरें लगी हुई हैं। ओलावृष्टि से अधिकतर बौरें झड़ गई हैं। ऐसे में कम उत्पादन की आशंका से काश्तकार परेशान हैं। जोशीमठ के नीती गांव निवासी सेब उत्पादक प्रेम सिंह फोनिया का कहना है कि जोशीमठ में अधिकतर किसान नकदी फसलों के जरिये अपना जीवन यापन करते हैं। खासकर सेब उत्पादन से काश्तकारों की आजीविका चलती है। परंतु हालिया ओलावृष्टि से अधिकतर फलों की बौरें झड़ गई हैं। ऐसे में सीजन में फलों के कम उत्पादन की आशंका से काश्तकार परेशान हैं। उन्होंने उद्यान व कृषि विभाग से ओलावृष्टि से हुए नुकसान का आकलन करने की मांग की है।