दसवीं में बेटी पढ़ रही तो मां ने पास की बारहवीं की परीक्षा, विपरीत हालातों में नहीं टूटा जज्बा; जानें- किसकी है ये कहानी

ठेली निवासी कमला का किताबों से साथ कभी नहीं छूटा और वर्ष 2018 में दसवीं और इस बार बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण कर उन्होंने साबित कर दिया कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। उनकी इस सफलता पर परिवार में खुशी का माहौल है।

By Edited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 10:13 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 02:18 PM (IST)
दसवीं में बेटी पढ़ रही तो मां ने पास की बारहवीं की परीक्षा, विपरीत हालातों में नहीं टूटा जज्बा; जानें- किसकी है ये कहानी
दसवीं में बेटी पढ़ रही तो मां ने पास की बारहवीं की परीक्षा।

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर (चमोली)। घर की स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए वह आठवीं से आगे नहीं पढ़ पाई। फिर शादी हुई तो जिम्मेदारियां भी बढ़ गई। तीन बच्चों के साथ तो पढ़ाई के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था। हालांकि, मन में यह टीस हमेशा रहती थी कि काश! वह भी आगे पढ़ पातीं। इसी का नतीजा है कि उनका किताबों से साथ कभी नहीं छूटा और वर्ष 2018 में दसवीं और इस बार बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण कर उन्होंने साबित कर दिया कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। उनकी इस सफलता पर परिवार में खुशी का माहौल है।

यह कहानी है उत्तराखंड के चमोली जिले के दशोली विकासखंड स्थित ग्राम ठेली निवासी 39-वर्षीय कमला रावत की। उनका विवाह वर्ष 2006 में ठेली निवासी हरेंद्र सिंह से हुआ, जो दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते हैं। बकौल कमला, 'शादी के बाद मुझे लगने लगा था जिम्मेदारियों के बीच अब आगे नहीं पढ़ पाऊंगी। लेकिन, सरकार के 'बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ' नारे ने मुझे खासा प्रभावित किया और मैंने ठान लिया कि अब हर हाल में आगे की पढ़ाई करूंगी।'

कमला की बड़ी बेटी आईशा रावत वर्तमान में इंटर कालेज मैठाणा में दसवीं की छात्रा है, जबकि बेटा प्रसून रावत जूनियर हाईस्कूल पलेठी में आठवीं और छोटी बेटी कृष्णा प्राथमिक विद्यालय ठेली मैड में पांचवीं में अध्ययनरत है। कमला बताती हैं कि बच्चों को पढ़ते देख वह भी गाहे-बगाहे पढ़ने की इच्छा जाहिर कर देती थीं।

इसी का नतीजा रहा कि परिवार वालों ने वर्ष 2018 में राजकीय इंटर कालेज नंद्रप्रयाग से उनका दसवीं की परीक्षा के लिए प्राइवेट फार्म भरवा दिया। इस परीक्षा में वह उतीर्ण रहीं और इस साल राइंका नंदप्रयाग से ही उन्होंने द्वितीय श्रेणी में बारहवीं पास की है। बकौल कमला, मैं आगे भी पढ़ाई जारी रखूंगी। क्योंकि, ज्ञान अर्जित करने में उम्र कभी बाधा नहीं बनती।'

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