तीन घंटे देरी से खुल रहा बदरीनाथ मंदिर, परंपरा का हवाला देते हुए तीर्थ पुरोहितों ने जताई नाराजगी
Badrinath Dham बदरीनाथ मंदिर में पूजा प्रक्रिया के समय में किए गए बदलाव से तीर्थ पुरोहित नाराज हैं। बताया कि सुबह चार बजे के बजाए सात बजे मंदिर खोला जा रहा। हालांकि बोर्ड ने अभिषेक पूजा के लिए गाय के ताजा दूध में हो रही देरी को इसका कारण बताया।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर। Badrinath Dham बदरीनाथ मंदिर में पूजा प्रक्रिया के समय में किए गए बदलाव से तीर्थ पुरोहित नाराज हैं। बताया गया कि सुबह चार बजे के बजाए सात बजे मंदिर खोला जा रहा है। हालांकि, देवस्थानम बोर्ड ने अभिषेक पूजा के लिए गाय के ताजा दूध में हो रही देरी को इसका कारण बताया है।
बदरीनाथ के ब्रह्मकपाल तीर्थ पुरोहित संगठन ने कोविड गाइड लाइनों के साथ मंदिरों में पौराणिक परंपराओं के अनुसार पूजा-अर्चना करवाने की मांग उठाई है। कहा गया जहां बदरीनाथ और नृसिंह मंदिर में पौराणिक काल से ब्रहम मुहूर्त में चार बजे पूजा की जाती है। वहीं, देवस्थानम के कर्मचारियों की ओर से कोविड नियमों का हवाला देते हुए इन दिनों सात बजे मंदिर खोला जा रहा है। सरकार की ओर से कोविड लाकडाउन के चलते निर्धारित नियमावली में जहां मंदिरों में दर्शन प्रक्रिया पर रोक लगाई गई है, लेकिन पूजा पंरपरा नियमित होनी है।
ब्रह्मकपाल तीर्थ पुरोहित संगठन की ओर से कोविड के नाम पर परंपरा को बदलने के निर्णय पर नाराजगी व्यक्त की गई है। कहा गया कि मंदिर को सुबह चार बजे के बजाए सात बजे खोला जा रहा है, जो परंपराओं से छेड़खानी है। ब्रह्मकपाल तीर्थ पुरोहित संगठन के अध्यक्ष उमाकांत सती का कहना है कि सरकार की ओर से कोविड संक्रमण की रोकथाम के लिए मंदिरों में दर्शन प्रक्रिया रोकने का समर्थन किया जा रहा है, लेकिन सीमित संख्या में मंदिर में होने वाली नित्य पूजा-अर्चना के लिए समय में परिर्वतन धार्मिक मान्यताओं के अनुरुप नहीं है।
सरकार को धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंदिरों में पूजा-अर्चना करवानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पौराणिक काल से ही बदरीनाथ मंदिर में ब्रह्म मुहूर्त में चार बजे बजे पूजा करने की परंपरा है, लेकिन वर्तमान में कोविड नियमों का हवाला देते हुए मंदिर सात बजे खोले जा रहे हैं, जिससे सभी आहत हैं। दूसरी ओर देवस्थानम बोर्ड के डिप्टी सीईओ बीडी सिंह का कहना है कि बदरीनाथ धाम में मंदिर में अभिषेक पूजा के लिए प्रतिदिन दो किलो गाय का ताजे दूध की जरूरत होती है। लाकडाउन के चलते दूध का इंतजाम करने वाले बामणी गांव के ग्रामीणों के पूरे परिवार अभी नहीं आए है। सुबह दूध आने में हो रही देरी से ही मंदिर में पूजा में देरी हुई है। उनका कहना है कि दूध को समय से मंदिर पहुंचाने का इंतजाम किया जा रहा है।
यह भी पढ़ें- Badrinath Dham: बदरी विशाल के दर्शनों से रोका तो साधु ने शुरू किया अनशन, कही ये बात
Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें