Badrinath Dham Yatra: शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट भी हुए बंद

Badrinath Dham Yatra श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। मंदिर को फूलों से दुल्हन की तरह सजाया गया।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sun, 17 Nov 2019 08:53 AM (IST) Updated:Sun, 17 Nov 2019 08:47 PM (IST)
Badrinath Dham Yatra: शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट भी हुए बंद
Badrinath Dham Yatra: शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट भी हुए बंद

गोपेश्वर, जेएनएन। गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के बाद शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के भी कपाट बंद कर दिए गए। इसी के साथ चार धाम यात्रा का भी समापन हो गया। करीब नौ हजार से ज्यादा श्रद्धालु इस खास पल के साक्षी बने। भगवान बदरी नारायण की चल विग्रह उत्सव डोली सोमवार को अपने शीतकालीन पूजा स्थल योगध्यान बदरी मंदिर के लिए रवाना होगी।

51 कुंतल गेंदे के फूलों से सजे बदरीनाथ धाम में तड़के भगवान बदरी-विशाल की नित्य पूजा के साथ ही अभिषेक व महाभिषेक किया। इसके बाद राजभोग व बालभोग लगाया गया। दोपहर तक आम श्रद्धालु भगवान नारायण के दर्शन करते रहे। दोपहर बाद इस वर्ष की अंतिम सायंकालीन पूजाएं शुरू हुईं। धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने भगवान का फूलों का शृंगार उतारने के बाद उनके शरीर पर घृत कंबल ओढ़ाई। यह घृत कंबल बदरीनाथ के पास स्थित माणा गांव की महिलाएं तैयार करती हैं। 

इस दौरान रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने सखी का वेष धारण कर मां लक्ष्मी को गोद में उठाकर गर्भगृह में विराजित किया। इसके बाद बदरीनारायण के बाल सखा उद्धव व देवताओं के खजांची कुबेर को गर्भगृह से बाहर लाया गया। उद्धव रावल के निवास स्थान और कुबेर बामणी गांव के नंदा देवी मंदिर में रात्रि विश्राम करेंगे। इसके साथ ही शंकराचार्य की गद्दी भी जोशीमठ के लिए प्रस्थान करेगी। कपाटबंदी के अवसर पर गढ़वाल स्काउट के बैंड की धुनों पर माहौल भक्तिमय हो गया। इस मौके पर बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष, सीईओ बीडी सिंह,  पूर्व काबिना मंत्री राजेंद्र भंडारी, जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी, चमोली की जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया और पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह उपस्थित थे।

सीजन में रिकॉर्ड 12 लाख 40 हजार भक्तों ने किए दर्शन 

इस साल बदरीनाथ धाम में रिकॉर्ड 12 लाख 40 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। पिछले साल यह आंकड़ा दस लाख 58 हजार 490 था। 

भविष्य बदरी धाम के कपाट भी हुए बंद

बदरीनाथ धाम के साथ ही सुभाई गांव स्थित भविष्य बदरी धाम के कपाट भी बंद कर दिए गए। इस मौके पर वेदपाठी, हक-हकूकधारी व बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। परंपरा के अनुसार जोशीमठ-मलारी हाईवे पर जोशीमठ से 17 किमी दूर स्थित भविष्य बदरी मंदिर के कपाट भी बदरीनाथ धाम के साथ ही खोले और बंद किए जाते हैं।

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21 को बंद होंगे मध्यमेश्वर के कपाट

पंचकेदारों में शामिल द्वितीय केदार भगवान मध्यमेश्वर के कपाट 21 नवंबर को सुबह सात बजे शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। इसके लिए श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति तैयारियों में जुट गई है। मंदिर समिति के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी ने बताया कि कपाटबंदी के बाद इसी दिन भगवान मध्यमेश्वर की उत्सव डोली रात्रि विश्राम के लिए अपने प्रथम पड़ाव गौंडार पहुंचेगी। 22 नवंबर को डोली राकेश्वरी मंदिर रांसी, 23 नवंबर गिरिया और 24 नवंबर को अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी। अगले छह माह बाबा मध्यमेश्वर यहीं अपने भक्तों को दर्शन देंगे।

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