नृसिंह मंदिर पहुंची आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, अब अगले छह माह यहीं होंगे दर्शन

आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर जोशीमठ में विराजित हो गई है। अब छह माह शंकराचार्य गद्दी के दर्शन जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में होंगे। डोली यात्रा योगध्यान मंदिर से रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी के नेतृत्व में जोशीमठ पहुंची।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sat, 21 Nov 2020 03:44 PM (IST) Updated:Sat, 21 Nov 2020 03:44 PM (IST)
नृसिंह मंदिर पहुंची आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, अब अगले छह माह यहीं होंगे दर्शन
नृसिंह मंदिर पहुंची आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, अब अगले छह माह यहीं होंगे दर्शन। जागरण

जोशीमठ(चमोली), जेएनएन। योग-ध्यान मंदिर पांडुकेश्वर में रात्रि विश्राम के बाद आदि शंकराचार्य की गद्दी शनिवार को विधि-विधान पूर्वक नृसिंह मंदिर जोशीमठ में विराजमान हो गई। इस मौके पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भगवान गद्दी के दर्शन किए। इसी के साथ योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर व नृसिंह मंदिर जोशीमठ में भगवान बदरी नारायण की शीतकालीन पूजाएं शुरू हो गई हैं। 

पांडुकेश्वर स्थित योग-ध्यान बदरी मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद सुबह नौ बजे रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के सानिध्य में शंकराचार्य की गद्दी यात्रा जोशीमठ के लिए रवाना हुई। गद्दी यात्रा में बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अपर मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह आदि शामिल थे। इस दौरान कई स्थानों पर श्रद्धालुओं ने गद्दी यात्रा का स्वागत किया। 

आपको बता दें कि शीतकाल के दौरान जहां भवगान नारायण अपने दर्शन योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर में देंगे तो वहीं शंकराचार्य गद्दी के दर्शन जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में होंगे। इससे पहले शुक्रवार को भगवान नारायण के प्रतिनिधि और बाल सखा उद्धव जी के साथ देवताओं के खजांची कुबेर जी की डोली पूजा अर्चना के बाद हनुमानचट्टी होते हुए शीतकालीन पूजा स्थली पांडुकेश्वर पहुंची। यहां पर पूजा-अर्चना के बाद दोनों डोलियों को योगध्यान बदरी मंदिर में विराजित किया गया। 

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