बागेश्वर के ह्वील-कुलवान गांव का पारंपरिक भोजन कोरोना के खिलाफ बना कवच
चंद्रशेखर बड़सीला गरुड़ शहर व बाजार की भीड़भाड़ से दूर पहाड़ी में बसा ह्वील-कुलवान गांव का पारंपरिक भोजन ग्रामीणों का कवच बना हुआ है।
चंद्रशेखर बड़सीला, गरुड़
शहर व बाजार की भीड़भाड़ से दूर पहाड़ी में बसा ह्वील-कुलवान गांव। पहाड़ों के बीच शांति ऐसी कि सारा डिप्रेशन रफूचक्कर होकर मन को तरोताजा कर देता है। मानसिक शांति के स्रोत गांव में लोग फास्ट फूड के बजाय परंपरागत खानपान को ही महत्व देते हैं। तभी तो कोरोना यहां अभी तक फटक नहीं पाया। ग्रामीण भी कोरोना को मात देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
तहसील मुख्यालय गरुड़ से 22 किमी दूर बागेश्वर व चमोली जिले की सीमा में बसा ह्वील-कुलवान गांव को कोरोना की दूसरी खतरनाक लहर भी नहीं छू पाई है। एक हजार की आबादी वाले इस गांव में ग्रामीण शारीरिक श्रम व परंपरागत खानपान से इम्युनिटी बढ़ा रहे हैं। कुछ लोग शहरों से लौटे तो उन्हें आते ही गांव की सीमा क्वारंटाइन कर दिया गया। कोविड गाइडलाइन का गांव में पूरी तरह पालन हो रहा है। गांव की शुद्ध आबोहवा में जिदगी खिलखिला रही है। ऐसे दे रहे हैं कोरोना को मात
* शारीरिक दूरी का बखूबी पालन
* मास्क पहनकर कर रहे हैं खेतों में काम
* जैविक व परंपरागत उत्पादों का उपयोग
* पर्याप्त धूप लेना व अत्यधिक शारीरिक श्रम
* इम्युनिटी बढ़ाने में गांव में उत्पादित ताजी सब्जियों का ही इस्तेमाल
* प्रवासियों को बाहर कर रहे क्वारंटाइन ----फोटो---10बीएजीपी13----
-गांव में खेतीबाड़ी व पशुपालन में लोग व्यस्त रहते हैं। खूब काम करते हैं। शुद्ध हवा पानी लेते हैं। दूध, दही, घी का पर्याप्त मात्रा में सेवन करते हैं। घर में जैविक रूप से उत्पादित सब्जी व दालों का प्रयोग करते हैं।
- हेमा बिष्ट, ब्लॉक प्रमुख व निवासी ह्वील कुलवान गांव -फोटो---10बीएजीपी14-
सतर्क ग्रामीण नियमों का पालन कर रहे हैं। उन्हें कोरोना के संबंध में पहले ही जागरूक किया गया है। मिलावटी वस्तुओं का लोग बहिष्कार करते हैं। खेती में जैविक खाद का प्रयोग होता है इसलिए लोगों की इम्युनिटी पावर मजबूत है।
- इंद्र सिंह बिष्ट, पूर्व जिपं उपाध्यक्ष व ग्रामीण ह्वील कुलवान गांव