जिला पंचायत सदस्यों की अध्यक्ष से वार्ता विफल
बागेश्वर के जिला पंचायत सदस्य पांचवें दिन भी धरने पर बैठे और अध्यक्ष के कार्यालय में तालाबंदी कर प्रदर्शन किया गया। शनिवार को जिपं अध्यक्ष बसंती देव प्रशासन के साथ धरनारत सदस्यों से वार्ता करने पहुंचीं। 15 मिनट की वार्ता करने के साथ ही वह दो घंटे तक बैठी रहीं। लेकिन सदस्यों ने उनकी एक भी बात नहीं मानी और वार्ता विफल हो गई।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : जिला पंचायत सदस्य पांचवें दिन भी धरने पर बैठे और अध्यक्ष के कार्यालय में तालाबंदी कर प्रदर्शन किया गया। शनिवार को जिपं अध्यक्ष बसंती देव प्रशासन के साथ धरनारत सदस्यों से वार्ता करने पहुंचीं। 15 मिनट की वार्ता करने के साथ ही वह दो घंटे तक बैठी रहीं। लेकिन सदस्यों ने उनकी एक भी बात नहीं मानी और वार्ता विफल हो गई।
शनिवार को जिला पंचायत उपाध्यक्ष नवीन परिहार नेतृत्व में सदस्यों ने जिला पंचायत परिसर में नरेबाजी के साथ धरना दिया। उन्होंने कहा कि जिला पंचायत के विकास कार्यों की जांच होनी चाहिए। जिला पंचायत अध्यक्ष की मनमानी के कारण सदस्यों को विकास के लिए आया धन नहीं मिल पा रहा है। इसबीच जिपं अध्यक्ष नाराज सदस्यों से वार्ता करने पहुंचीं। उनके साथ एसडीएम सदर योगेंद्र सिंह, तहसीलदार नवाजिस खलीक, सीओ बीसी पंत के अलावा तीन इंस्पेक्टर और जवान थी थे। जिपं अध्यक्ष ने कार्यालय का ताला खोलने को कहा, लेकिन सदस्यों ने इंकार कर दिया। जिला पंचायत अध्यक्ष ने सदस्यों को समझाने की कोशिश की और कहा कि सदन की बात सदन में होती है। लेकिन सदस्य नहीं माने। इस दौरान पूर्व जिपंअ व वर्तमान सदस्य हरीश ऐठानी, जिला पंचायत उपाध्यक्ष नवीन परिहार, सदस्य सुरेंद्र सिंह खेतवाल, गोपा धपोला, रूपा कोरंगा, इंद्रा परिहार, रेखा आर्य, वंदना ऐठानी, पूजा आर्य आदि मौजूद थे।
अध्यक्ष पर लगे आरोपों की हो उच्चस्तरीय जांच
उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत संगठन के प्रदेश संयोजक जगत मर्ताेलिया ने आयुक्त कुमाऊं मंडल को पत्र लिखा है। उन्होंने बागेश्वर जिला पंचायत अध्यक्ष पर लगाए गए आरोपों की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि जिपं सदस्यों ने जिपं अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन संचालित किया जा रहा है। निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की बातों को दरकिनार करना लोकतंत्र के लिए घातक है। इससे सरकारी संस्थाओं में अनियमिताएं, भष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी को भी इसका संज्ञान लेना चाहिए और प्रारम्भिक जांच शुरू कर देनी चाहिए। मुख्य विकास अधिकारी जिला पंचायत के सचिव होते हैं। उन्होंने भी आंदोलन का संज्ञान नहीं लिया गया है।