बागेश्वर में भेड़-बकरियों की भी होगी टैगिग
बागेश्वर जिले के पशुपालकों को ऋण और पशुओं का उपचार आदि के लिए अब परेशान नहीं होना पड़ेगा।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : पशुपालकों को ऋण और पशुओं का उपचार आदि के लिए अब परेशान नहीं होना पड़ेगा। बीमित पशु की मौत होने पर उन्हें इंश्योरेंस आदि भी समय पर मिल सकेगा। पशु पालन विभाग ने जिले में नई पहल शुरू की है। गाय, भैंस की तरह भेड़ और बकरियों को भी शीघ्र पहचान नंबर मिलेगा। पशुपालन विभाग में 1.22 लाख टैग पहुंच चुके हैं। शासन स्तर से निर्देश प्राप्त होते ही विभागीय कर्मचारी घर-घर जाकर चार माह से अधिक उम्र के भेड़, बकरियों की ईयर टैगिग करेंगे। राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) में पहले भेड़ और बकरियों को शामिल नहीं किया गया था। गोवंश और महिष वंशीय पशु ही इसमें शामिल थे। अब भेड़, बकरियों को भी शामिल किया जाएगा।
इससे पशुओं के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ भी आसानी से प्राप्त होगा। भेड़ और बकरी का रिकार्ड एनएडीसीपी के पोर्टल पर दर्ज रहेगा। भेड़-बकरियों की उम्र और पालने वाले का नाम और पता भी ऑनलाइन रहेगा। भेड़ों-बकरियों को 12 डिजिट का आधार नंबर का छल्ला कान में पहनाया जाएगा। इसके जरिये भेड़-बकरियों के बीमा और लोन की सुविधा भी मिलेगी। इस टैग से भेड़-बकरियों को खुरपका-मुंहपका टीका आदि भी लगेंगे। वर्तमान में जिले में 122875 भेड़-बकरियां हैं। इनमें 1,02,075 बकरी और 20,800 भेड़ हैं। -वर्जन-
भेड़-बकरियों की टैग उपलब्ध हैं। शासन स्तर से निर्देश के बाद घर-घर जाकर भेड़-बकरियों के कानों में ईयर टैग लगाए जाएंगे। भेड़-बकरी पालकों को सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ प्राप्त होगा। जिले में 80 प्रतिशत गौ और महिष वंशीय पशुओं की टैगिग हो गई है।
-डा. उदय शंकर, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी बागेश्वर।