ऐसे तो नहीं बच पाएगी सदानीरा गरुड़ गंगा..
बागेश्वर तके तीन साल पहले बड़े शोरगुल के साथ लुप्त होती सदानीरा गरुड़ गंगा को बचाने के लिए महाभियान शुरूहुआ। सरकारी नीतियों व बजट के अभाव में यह अभियान आगे नहीं बढ़ पाया।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : तीन साल पहले बड़े शोरगुल के साथ लुप्त होती सदानीरा गरुड़ गंगा को बचाने के लिए महाभियान शुरू हुआ। सरकारी नीतियों व बजट के अभाव में यह अभियान आगे नही बढ़ पाया। जिससे गरुड़ गंगा का संकट बरकरार है। अब यह अभियान फिर शुरू भी होगा, कुछ कहा नही जा सकता।
सरकार की कार्यप्रणाली अगर देखनी है तो गरुड़ गंगा पुनर्जनन महाभियान देख लीजिए। सरकार गहराते जल संकट को कम करने के लिए कितनी गंभीर है अपने आप पता चल जाएगा। बीते दो वर्ष पूर्व हरेला पर्व पर गरुड़ गंगा पुनर्जनन महाभियान शुरू हुआ। कार्यक्रम के तहत कुल 3943.63 हे. भूमि पर तीन चरणों में कार्य किया जाना था। अभियान के लिए नौ रिचार्ज जोन बनाए गए थे। अभियान की सफलता के लिए नौ नोडल व नौ सहायक नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई। पांच साल तक चलने वाले इस अभियान में कुल खर्चा 5 करोड़ 53 लाख होना था लेकिन बजट के अभाव में यह कार्य अभी तक आगे ही नही बढ़ पाया है।
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चाल, खाल के साथ होना था पौधारोपण
बागेश्वर : तीन चरणों में इंफिल्ट्रेशन होल, ट्रेंच, पिरूल व पत्थर के चेक डैम, चाल-खाल व चौड़ी पत्ती के पौधों का वृहद तरीके से रोपण किया जाना था। अभियान के तहत गरुड़ घाटी की 27 ग्राम पंचायतें जोड़ी गई थी। शुरुआती दौर में तो कुछ पौधरोपण हुआ। उसके बाद यह कार्यक्रम थम सा गया।
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-- ये हैंनौ रिचार्ज जोन--
धारापानी, सोखला पट्टा, अमोली, दुमरोट, कमलेख, पिगलकोट, कौसानी, दारना, जरिया बगड़
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::::::: वर्जन
अभी तक केवल 43 लाख रुपया मिला है। मनरेगा से कार्य किया जा रहा है। अधिकतर वन क्षेत्र है। इसलिए दिक्कत हो रही है। वन विभाग को कितना बजट मिला है इसकी जानकारी नही।
-डीडी पंत, मुख्य विकास अधिकारी, बागेश्वर
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अभी एक करोड़ रुपया मिला है। जिससे कार्य किया जाना है। चाल, खाल निर्माण व पौधरोपण आदि किया जाएगा। जल्द ही कार्य शुरू होगा।
-बीएस शाही, प्रभागीय वनाधिकारी, बागेश्वर