पहाड़ पर आउट आफ रीच हुई ऑनलाइन शिक्षा
कोरोनाकाल में बागेश्वर जिले के बच्चों के भविष्य पर संकट गहराने लगा है।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : कोरोनाकाल में बच्चों के भविष्य पर संकट गहराने लगा है। स्कूल बीते डेढ़ वर्ष से बंद हैं। ऐसे में बच्चे गांवों में अपने माता-पिता के साथ घरेलू काम में जुट गए हैं। अधिकतर गांव में रहने वाले बच्चे बकरी, गाय, लकड़ी व चारे के लिए जंगलों का रुख करने लगे हैं।
पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार गांवों गांवों के खाली होने का प्रमुख कारण शिक्षा बताया गया था। जिले के प्राथमिक, उच्च व इंटर कॉलेजों में वर्तमान में लगभग 15 हजार बच्चे अध्ययनरत हैं। इसके 70 फीसद दायरे में इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं है। सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चे गरीब हैं, जिनके पास स्मार्ट फोन है न कंप्यूटर। यदि कोई अभिभावक किसी तरह इसकी व्यवस्था कर भी ले तो इंटरनेट का अभाव उसके कदम रोक रहा है। हालात बेहद खराब हो गए है। बालिकाएं छोड़ रहीं स्कूल महामारी से ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यस्था प्रभावित हुई है। गरीबी, पिछड़ापन बढ़ा है। इसका प्रभाव बालिकाओं पर ज्यादा पड़ा है। वे लगातार स्कूल छोड़ रही है। कम उम्र में ही उनकी शादी भी हो रही है। स्कूल छोड़ चुकी बाछम गांव निवासी पुष्पा, कविता दानू ने बताया कि पढ़ाई नहीं हो रही तो स्कूल छोड़ना मजबूरी है। घर के ही काम करती हैं। सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर विषय ही नहीं
संचार क्रांति और डिजिटलाइजेशन से सरकारी शिक्षा व्यवस्था अछूती है। कंप्यूटर विषय तक नहीं है। अब बच्चे कंप्यूटर में ऑनलाइन कक्षाएं पढ़ना भी चाहे तो संभव नहीं है। उन्हें कंप्यूटर की बेसिक जानकारी भी नहीं है। मुख्यालय के पास के स्कूलों के शिक्षक ही स्मार्ट फोन से ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं। -जिले में विद्यालयों की स्थिति-
प्राथमिक- 563
उच्च प्राथमिक- 111
राजकीय इंटर कॉलेज- 62
अशासकीय विद्यालय- 19
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वर्जन
-डीएम अनटाइड फंड से 20 स्कूल में स्मार्ट क्लासेस चलेंगी। इंटरनेट कनेक्टिविटी की दिक्कत है। 10 वर्चुअल लैब और कौसानी क्लस्टर में स्मार्ट क्लासेस शुरू की हैं। समस्या तो है जल्द समाधान के प्रयास होंगे।
-पदमेंद्र सकलानी, सीइओ, बागेश्वर