नए वार्डों को तीन साल बाद भी नहीं मिले पर्यावरण मित्र
नगर पालिका में पूर्व में सात वार्ड थे। नए परिसीमन के बाद वह बढ़कर 11 हो गए हैं। पालिका में मंडलसेरा कठायतबाड़ा नदीगांव बिलौना आदि गांवों को मिलाया गया। लेकिन यहां सुविधाओं के नाम पर अभी भी झुनझुना है।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : इंदौर नगर निगम स्वच्छता सर्वेक्षण में फिर टाप पर आया है। जबकि पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की छोटी सी नगर पालिका बागेश्वर 362 रैंक पर है। स्वच्छता के मायनों में नगर पालिका लगातार पिछड़ रही है। नगर पालिका में पूर्व में सात वार्ड थे। नए परिसीमन के बाद वह बढ़कर 11 हो गए हैं। पालिका में मंडलसेरा, कठायतबाड़ा, नदीगांव, बिलौना आदि गांवों को मिलाया गया। लेकिन यहां सुविधाओं के नाम पर अभी भी झुनझुना है। रास्ते व लिक मोटर मार्ग की सबसे अधिक दिक्कत है। पेयजल की समस्या भी बनी हुई है। बारिश के समय जलभराव की स्थिति रहती है। नालियों की मरम्मत नहीं होने से वह गंदगी को बढ़ा रही हैं। सरयू-गोमती के संगम पर शहर बसा हुआ है। सफाई की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण नदियों भी प्रदूषित हो रही हैं। ट्रंचिग ग्राउंड के लिए भूमि का चयन बिलौना में किया गया है। लेकिन वहां के लोग इसका विरोध कर रहे हैं। सरकारी स्लाटर हाउस भी पालिका के पास नहीं है। स्लाटर हाउस की भूमि पर अतिक्रमण है। जिसको लेकर भी स्थानीय लोगों को विवाद है। लोगों का कहना है कि वह गांव में ठीक थे। पालिका में जाने के बाद बिजली, पानी आदि के बिल बढ़ गए हैं। कुछ दिनों के बाद हाउस टैक्स भी जमा करना पड़ेगा। लेकिन सुविधाएं प्रदान करने में पालिका फिसड्डी साबित हो रही है।
पर्यावरण मित्रों की कमी 2011 की जनगणना के अनुसार शहर की जनसंख्या 37 हजार थी। लेकिन वर्तमान में लगभग 50 हजार का आंकड़ा पार कर गई है। तीन वर्ष पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़कर चार नए वार्ड बनाए गए। नए किसी भी वार्ड में पर्यावरण मित्र की तैनाती नहीं हो सकी है। 37 हजार जनसंख्या पर कम से कम 70 पर्यावरण मित्रों की जरूरत है। जबकि वर्तमान में 43 पर्यावरण मित्र पालिका के पास हैं।
पालिका के विस्तार के बाद लगातार विकास हो रहा है। सड़क, रास्ते, पेयजल, घाट निर्माण आदि के साथ ही पालिका ने आय बढ़ाने के लिए तमाम काम किए हैं। जिन स्थानों पर दिक्कतें हैं, वहां भी काम हो रहा है। शीघ्र वार्डों को सभी सुविधाएं मिलेंगी। - सुरेश खेतवाल, पालिकाध्यक्ष
2011 से जनगणना नहीं हो सकी है। शहर की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में 43 पर्यावरण मित्र हैं, जबकि 70 की जरूरत है। पर्यावरण मित्रों की तैनाती के प्रयास किए जा रहे हैं। स्वच्छता के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। - राजदेव जायसी, अधिशासी अधिकारी, बागेश्वर