कौसानी के कण-कण में बसा सौंदर्य

घनश्याम जोशी बागेश्वर उत्तराखंड में कौसानी उन स्थानों में से है जहां से हिमालय का निर्बाध

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Mar 2019 08:28 AM (IST) Updated:Sat, 23 Mar 2019 08:28 AM (IST)
कौसानी के कण-कण में बसा सौंदर्य
कौसानी के कण-कण में बसा सौंदर्य

घनश्याम जोशी, बागेश्वर: उत्तराखंड में कौसानी उन स्थानों में से है जहां से हिमालय का निर्बाध नजारा देखने को मिलता है। खूबसूरती बरबस यहां सैलानियों को लाती है और वे यहां से लौटना तक नहीं चाहते हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने यंग इंडिया में 11 जुलाई 1919 में लिखा था, मैं सोचता हूं कि इन पर्वतों के दृश्यों व जलवायु से बढ़कर होना तो दूर रहा, बराबरी भी संसार का कोई अन्य स्थान नहीं कर सकता। हमारे देशवासी स्वास्थ्य लाभ के लिए यूरोप क्यों जाते होंगे।

समुद्र तल से 1890 मीटर की ऊंचाई पर बसे कौसानी के प्राकृतिक सौंदर्य व शांत मनोरम वातावरण से प्रभावित होकर महात्मा गांधी ने 1929 में यहां 12 दिन बिताए थे और अनासक्ति योग नामक पुस्तक की रचना की। गांधी जी जिस बंगले में ठहरे थे वह आज उनकी लिखी पुस्तक के नाम पर 'अनासक्ति आश्रम' के नाम से जाना जाता है। अब यहां पर्यटकों के ठहरने व अध्ययन की पर्याप्त व्यवस्था का संचालन गांधी स्मारक निधि द्वारा किया जाता है। हिमालय में कुछ ही ऐसे पर्यटन स्थल होंगे जो कौसानी की खूबसूरती और प्राकृतिक सुषमा का मुकाबला कर सके। ========= इन हिमालय श्रृंखलाओं का दीदार

कौसानी से 300 किलोमीटर के अर्धवृत्ताकार घेरे में फैली बर्फ से ढकी चौखंबा, त्रिशूल, नंदादेवी, पंचाचूली और नंदाकोट सहित कई अन्य चोटियां इस जगह को भव्य रूप प्रदान करती हैं। इसके एक और कोसी और दूसरी तरफ गोमती नदी बलखाती चलती हैं। जिसके मध्य में प्रहरी की तरह खड़े पिगलनाथ शिखर पर कौसानी बसा है।

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कौसानी भारत का स्विट्जरलैंड

कौसानी के कण-कण में सौंदर्य बिखरा पड़ा है। दूर तक फैली घाटी, सघन वन शोख फूलों की बहार, रसीले फूलों की छटा, बादलों की लुकाछिपी के बीच सरल जन जीवन सैलानियों का मन मोह लेता है। इसलिए कौसानी को 'भारत का स्विट्जरलैंड' भी कहा जाता गया है।

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यहां से सूर्योदय का नजारा

अनासक्ति आश्रम के प्रांगण से सूर्योदय का अद्भुत नजारा देखने के लिए अलसुबह पर्यटकों की भीड़ जमा हो जाती है। अंधेरे को चीरता हुआ जब सूर्य एक प्रकाश पुंज की शक्ल में हिमशिखरों के पीछे से क्षितिज में उभरता है तो सूर्य के बढ़ते आकार के साथ पल-पल रंग बदलता दृश्य देखने लायक होता है।

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ऐसे पहुंचे कौसानी

कौसानी पहुंचने के लिए काठगोदाम अंतिम रेलवे स्टेशन है। काठगोदाम से अल्मोड़ा होकर कौसानी की दूरी 142 किमी और रानीखेत से होते हुए 146 किमी है।

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आवास की व्यवस्था

कौसानी में आधुनिक सुविधाओं से युक्त अनेक बढि़या होटल, गेस्ट हाउस व रेस्तरां हैं। हजार वर्ष पुराने बैजनाथ के प्रसिद्ध मंदिर यहां से एक हजार किलोमीटर दूर हैं। गोमती व सरयू के संगम पर स्थित बागेश्वर कस्बा 26 किलोमीटर है। सर्दियों की अपेक्षा यहां मई से सितंबर तक पर्यटकों की आवाजाही ज्यादा रहती है।

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