बिना अनुमति ट्रेकिग पर जाना पड़ेगा भारी

नंदादेवी क्षेत्र नेशनल रिजर्व क्षेत्र है। यहां बिना वन विभाग की अनुमति के कोई भी ट्रेकर नहीं जा सकता है। वन विभाग खरकिया और खाती में पंजीकरण कार्यालय खोलेगा। जिला प्रशासन से समन्वयक स्थापित कर प्रस्ताव भी तैयार कर रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 04:49 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 04:49 PM (IST)
बिना अनुमति ट्रेकिग पर जाना पड़ेगा भारी
बिना अनुमति ट्रेकिग पर जाना पड़ेगा भारी

घनश्याम जोशी, बागेश्वर

नंदादेवी क्षेत्र नेशनल रिजर्व क्षेत्र है। यहां बिना वन विभाग की अनुमति के कोई भी ट्रेकर नहीं जा सकता है। वन विभाग खरकिया और खाती में पंजीकरण कार्यालय खोलेगा। जिला प्रशासन से समन्वयक स्थापित कर प्रस्ताव भी तैयार कर रहा है। बिना अनुमति के ग्लेशियरों की तरफ जाने वालों पर शिकंजा कसेगा। हिमालय पर पल-पल बदलता मौसम व पहाड़ से वाकिफ नहीं होना भी पर्यटकों की जान पर खतरा बन बैठता है। सुंदरढूंगा की साहसिक यात्रा पर निकले बंगाली ट्रेकरों में पांच के हताहत होने की सूचना के बाद जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में हैं। हालांकि हिमालयी क्षेत्र को जाने वालों के लिए कपकोट बाजार में पंजीकरण कार्यालय खोला गया है। यहां 150 रुपये का शुल्क देना होता है। एक टीम में यदि 10 लोग रहते हैं तो उन्हें 1500 रुपये जमा करने होते हैं। टूर आपरेटर रुपये बचाने के चक्कर में पंजीकरण नहीं कराते हैं। जिसके कारण ट्रेकरों सटीक जानकारी वन विभाग के पास भी नहीं होती है। 25 हजार रुपये तक जुर्माना वन विभाग से बिना अनुमति के नंदादेवी ईष्ट जाने वाले पर्वारोहियों पर 25 हजार रुपये तक का जुर्माना वसूला जा सकता है। इसके नेशनल रिजर्व क्षेत्र का उल्लंघन करने पर विभिन्न धाराओं में छह माह से तीन वर्ष तक की सजा का भी प्राविधान है। इसके अलावा वन और अदालत में केस भी चलता है।

आनलाइन पंजीकरण की नहीं है सुविधा जिला पर्यटन अधिकारी कीर्ती चंद्र आर्य ने बताया कि हिमालय की तरफ जाने वाले ट्रेकरों के लिए अभी आनलाइन पंजीकरण की सुविधा नहीं हैं। ट्रैकरों को कपकोट स्थित वन विभाग के पंजीकरण कार्यालय पर शुल्क अदा कर अनुमति लेनी होती है। चमोली, पिथौरागढ़ जिले से भी रास्ता होने के कारण ट्रेकरों की सटीक जानकारी विभाग के पास नहीं रहती है।

प्रशिक्षित नहीं होते स्थानीय गाइड स्थानीय गाइड, पोर्टर, खच्चर चलाने वालों को प्रशिक्षित नहीं किया जाता है। वह हिमालय में रहते हैं और उन्हें पल-पल बदलने वाले मौसम की जानकारी रहती है। अनुमति लेकर कीड़ा-जड़ी आदि दोहन के लिए सैकड़ों ग्रामीण प्रतिवर्ष यहां जाते हैं। हालांकि टूर आपरेटरों के पास प्रशिक्षित गाइड होते हैं।

नंदादेवी नेशनल रिजर्व क्षेत्र में बिना अनुमति के नहीं जा सकते हैं। सुंदरढूंगा क्षेत्र में गए पर्यटक किस टूर आपरेटर के माध्यम से पहुंचे। उसकी जानकारी जुटाई जा रही है। उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। नियमों का बार-बार उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई तय है। - हिमांशु बागरी, डीएफओ, बागेश्वर

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