जी रया, जागि रया, य दिन य बार भेटैने रया

16 जुलाई यानि आज हरेला पर्व धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। पौधारोपण की बयार चलेगी। देव मंदिरों में पूजा होगी और दस दिन पूर्व घरों में बोया हरेला देवताओं के साथ ही लोगों को भी चढ़ाया जाएगा। दादा-दादी ताऊ-ताई और बुजुर्ग हरेला चढ़ाते समय जी रया जागि रया.. आदि का आर्शीवाद भी देंगे।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Jul 2021 05:54 PM (IST) Updated:Thu, 15 Jul 2021 05:54 PM (IST)
जी रया, जागि रया, य दिन य बार भेटैने रया
जी रया, जागि रया, य दिन य बार भेटैने रया

घनश्याम जोशी, बागेश्वर

हरेला जलवायु परिर्वतन और पर्यावरणीय संतुलन का पर्व है। प्रकृति का संतुलन बनाए रखना, मानव जीवन को सुखी, समृद्ध और संतुलित बनाए रखने के लिए पौधारोपण का विशेष महत्व है। वहीं धर्मशास्त्रों मे पौधारोपण को पुण्य प्राप्त करने का शॉटकट रास्ता भी कहा गया है।

16 जुलाई यानि आज हरेला पर्व धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। पौधारोपण की बयार चलेगी। देव मंदिरों में पूजा होगी और दस दिन पूर्व घरों में बोया हरेला देवताओं के साथ ही लोगों को भी चढ़ाया जाएगा। दादा-दादी, ताऊ-ताई और बुजुर्ग हरेला चढ़ाते समय, जी रया, जागि रया.. आदि का आर्शीवाद भी देंगे। हरेला पर्व पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिए काफी लाभदायक मना जाने लगा है। सरकारें भी हरेला पर्व पर पौधारोपण के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं। कुमाऊं के तीन हरेला पर्व चैत्र मास के प्रथम दिन हरेला बोया जाता है तथा नौवें दिन को काटा जाता है। यह मुख्यत: ग्रीष्म ऋतु आने का संकेत देता है। इसी तरह आश्विन माह में नवरात्रि के दिन हरेला बोया जाता है। दशहरे के दिन काटा जाता है। यह शीत ऋतु आने का प्रतीक है। वर्ष में तीसरा हरेला जो कि तीनों हरेला में सबसे च्यादा महत्वपूर्ण है। श्रावण माह से नौ दिन पहले बोया जाता है और 10 दिन बाद काटा जाता है। यह वर्षा ऋतु आने का संकेत देता है। वनों से हमें अनेक प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लाभ मिलते हैं। अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियां मिलती हैं। जिनका प्रयोग औषधियां बनाने में किया जाता है। भारत में लगभग 35 लाख लोग वनों पर आधारित उद्योगों में कार्य कर आजीविका चलाते हैं। हरेला पर्व पर फलदार व कृषि उपयोगी पौधा रोपण की परंपरा है। हरेला केवल अच्छी फसल उत्पादन ही नहीं वरन ऋतुओं के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है। - डा. गोपालकृष्ण जोशी, प्रवक्ता इंटर कॉलेज क्वैराली, बागेश्वर

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