भांग की खेती को किसानों के बनेंगे लाइसेंस

बागेश्वर जिले में भांग की खेती अब लाइसेंस बनाकर की जा सकती है। जिससे किसानों की आय बढ़ेगी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 25 Nov 2020 10:53 PM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2020 10:53 PM (IST)
भांग की खेती को किसानों के बनेंगे लाइसेंस
भांग की खेती को किसानों के बनेंगे लाइसेंस

जासं, बागेश्वर : भांग की खेती अब लाइसेंस बनाकर की जा सकती है। जिससे किसानों की आय बढ़ेगी और भांग के बीज और रेशे भी बेचे जा सकेंगे। हालांकि लाइसेंस सरकार की बीते दिनों जारी गाइडलाइन के अनुसार ही बन सकेगा।

किसान को भूमि का प्रस्ताव तैयार करना होगा और आबकारी विभाग के निरीक्षण के बाद लाइसेंस दिया जाएगा। इतना ही नहीं लाइसेंसधारी किसान का किसी दवा कंपनी से अनुबंध भी होना जरूरी है। योजना किसानों की बेहतरी के लिए बनाई गई है। अलबत्ता इसबीच जिलाधिकारी के माध्यम से भांग की खेती के लिए आवेदन भी होने लगे हैं। आबकारी विभाग के अनुसार भांग के बीज यानी दाने तथा रेसे आदि भी किसान निकाल सकेंगे। चरस आदि का उत्पादन नहीं हो सकेगा। भांग के पेड़ भी औसतन बड़े नहीं करने दिए जाएंगे उन्हें इससे पहले काट दिया जाएगा। भांग की कैनाविस रुड्रालिस प्रजाति में नशा नहीं होता है। इसमें टेट्रा हाइड्रो केनबिनोल (टीएचसी) का स्तर बहुत कम होता है। जबकि पहाड़ में उगने वाली भांग की प्रजाति कैनालिस स्टाइवा और इंडिका में टीएचसी काफी अधिक होता है। अब जिले में पहली बार नशामुक्त भांग की खेती होने जा रही है। इसके लिए बकायदा आबकारी विभाग लाइसेंस जारी करेगा। भांग की खेती बड़े पैमाने पर करने के लिए किसान भी उत्सुक हैं। कौसानी के भोजगण नामक गांव में लगभग 50 नाली भूमि में भांग की खेती करने की योजना बनाई जा रही है। जिसके लिए दवा कंपनी से भी अनुबंध किया जा रहा है।

जिला आबकारी अधिकारी गोविद सिंह मेहता ने बताया कि वर्तमान में नशामुक्त भांग की खेती करने के लिए दो किसान उनके संपर्क में आए हैं और आवेदन दिए हैं। खेती के लिए बीज बाहर से आयात किया जाएगा। फसल कटने से पहले भी नशे की मात्रा के लिए सरकारी लैब में जांच की जाएगी। हेम्प का निर्यात किया जाएगा। यदि अधिक किसानों ने यह योजना का अपनाया तो जिले के बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलने की भी उम्मीद है। -------- हेम्प से होगा प्लास्टिक तैयार भांग से बनने वाले सीबीडी असयल का प्रयोग साबुन, शैंपू व दवाईयां बनाने में किया जाएगा। हेम्प से निकलने वाले सेलूलोज का इस्तेमाल कागज बनाने में होगा और प्लास्टिक तैयार होगा। जो बायोडिग्रेबल होगी। वह समय के साथ मिट्टी में घुल जाएगी। हेम्प फाइबर से कपड़े बनाए जाएंगे। हेम्प प्रोटीन बेबी फूड बाडी बिल्डिग में प्रयोग होगा तो हेम्प ब्रिक वातावरण को शुद्ध करेगा। यह कार्बन को खींचता है। जिससे वातावरण में कार्बन की मात्रा कम होगी। यह समय के साथ कार्बन खींचकर ब्रिक को और सख्त करेगी। ----------- भांग का पहाड़ में उपयोग भांग के रेशे का प्रयोग कई देशों में सजावटी सामान बनाने के लिए किया जा रहा है। पहाड़ में भांग के रेशों से अभी भी रस्सी बनाई जाती हैं। भांग के बीज का प्रयोग चटनी बनाने के साथ ही सब्जी और मसाले में किया जाता है। भांग के बीज महंगे बिकते हैं। भांग के बीज में नशा नहीं होता है। भांग के बीजों को प्रवासी उत्तराखंडी भी काफी पसंद करते हैं। इसकी तासीर गर्म होती है। जाड़ों में भांग के बीज का अर्क सब्जी में डाला जाता है। इससे आयुर्वेदिक दवा बनती हैं। आयुर्वेद डा. एजल पटेल बताते हैं कि भांग से दर्दनाशक दवाई बनाई जा रही है। दवा टेबलेट और तेल के रूप में उपलब्ध हैं। =============

-वर्जन- पायलट प्रोजेक्ट के रूप में भांग की खेती करा रही संस्था से संपर्क किया जाएगा। बगैर नशे वाली भांग की खेती पर विचार विमर्श किया किया जाएगा। सरकार की अनुमति से इस दिशा में अगला कदम उठाया जाएगा। भांग वैध रोजगार का जरिया बनेगी। -विनीत कुमार, जिलाधिकारी, बागेश्वर।

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