सपना बनकर ही रह गया सीए का ड्रीम प्रोजेक्ट
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का ड्रीम प्रोजेक्ट तीन साल तक धरातल में नहीं उतर पाया है। जिले से जो डीपीआर बनाकर शासन को भेजी वह आज तक स्वीकृत ही नहीं हुई। कुमांऊ कमिश्नर के संज्ञान लेने के बाद कार्यदायी संस्था बदल दी गई है।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का ड्रीम प्रोजेक्ट तीन साल तक धरातल में नहीं उतर पाया है। जिले से जो डीपीआर बनाकर शासन को भेजी, वह आज तक स्वीकृत ही नहीं हुई। कुमांऊ कमिश्नर के संज्ञान लेने के बाद कार्यदायी संस्था बदल दी गई है। ऐसे हालात में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है, राज्य के नीति निर्माता अपनी ही लोक कल्याणकारी योजनाओं के प्रति कितने गंभीर हैं।
प्रदेश में पर्यटन की संभावनाओं को तलाशने के लिए मुख्यमंत्री बनते ही त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 13 डिस्ट्रिक्ट, 13 डेस्टिनेशन योजना की थीम तैयार की थी। करीब तीन साल पहले इसका शुभांरभ किया था। नए डेस्टिनेशन देखे जाने थे, ताकि उनको पर्यटक क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सके।
बागेश्वर ने भी गरुड़ के रैतोली में टी गार्डन और मुख्यालय के पास जौलकांडे में माउंटेन बाइकिग को विकसित करने का प्रस्ताव भेजा। डीपीआर तैयार करने की जिम्मेदारी कार्यदायी संस्था लघु सिचाई को दी गई। डीपीआर तैयार कर शासन को भेजी गयी। पता चला कि डीपीआर ही गलत बन गई है, जो अब तक स्वीकृत ही नहीं हुई। अन्य जिलों का हाल भी इससे जुदा नहीं है।
यह खुलासा बुधवार को मंडलायुक्त की बैठक में हुआ। जिसके बाद अब कुमांऊ मंडल विकास निगम को कार्यदायी संस्था बनाया गया है, जो डीपीआर तैयार करेगा।
पहली जो डीपीआर भेजी थी, वह स्वीकृत नहीं हुई। अब केएमवीएन को कार्यदायी संस्था बनाया है। जो दो जगहों की डीपीआर तैयार करेगा। जिसके बाद स्वीकृति को शासन को भेजा जाएगा।
- कीर्ति चंद्र आर्या, जिला पर्यटन अधिकारी, बागेश्वर