मंजुला की मेहनत और लगन से बच्चों को मिला मुकाम

मां और बच्चों का रिश्ता दुनिया में सबसे अनमोल रिश्ता माना जाता है। जब मां का लाडला सफलता की बुलंदियों को छूता है तो यह उसके लिए सबसे खुशनुमा पल होते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 10:32 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 10:32 PM (IST)
मंजुला की मेहनत और लगन से बच्चों को मिला मुकाम
मंजुला की मेहनत और लगन से बच्चों को मिला मुकाम

जासं, बागेश्वर : मां और बच्चों का रिश्ता दुनिया में सबसे अनमोल रिश्ता माना जाता है। जब मां का लाडला सफलता की बुलंदियों को छूता है तो यह उसके लिए सबसे खुशनुमा पल होते हैैं। ऐसा ही एक मां मंजुला पांडे लोगों के लिए मिसाल हैं। पति का साथ छूटने के बाद उन्होंने तीन बच्चों की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। उनकी मेहनत और लगन ही थी कि एक बेटा आज इंग्लैंड के डर्बी शहर का काउंसलर है।

चामी गांव की मूल निवासी मंजुला पांडे पत्नी स्व. हरीश चंद्र पांडे अब किसी परिचय की मोहताज नहीं है। उनके पति एमईएस में कार्यरत थे। जिदगी ठीकठाक चल रही थी। उनके तीन बच्चों में दो लड़के सतीश व गौरव तथा एक लड़की मीना पढ़ाई कर रहे थे और भविष्य को संवारने में जुटे थे। तभी ऐसा कुछ हुआ की उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। मंजुला के पति हरीश पांडे का 1997 में असामयिक निधन हो गया। इस पर मंजुला बच्चों को लेकर अपने गांव आ गई। उनके सामने अब संकट खड़ा हो गया कि बच्चों का लालन-पालन कैसा हो। इस पर उन्होंने तय किया गया कि बड़ा बेटा सतीश अपने पिता की जगह सरकारी नौकरी करेगा लेकिन सतीश ने मना कर दिया। इस पर मंजुला ने खुद को खड़ा करने का फैसला लिया। अभी तक वह गृहणी थी। बाहर की दुनिया से अंजान उनका यह निर्णय सिर्फ अपने बच्चों के लिए ही था।

मंजुला ने एमईएस में नौकरी ज्वाइन कर ली। इस दौरान उन्हें इधर-उधर ही रहना पड़ता था। नौकरी के दौरान उन्होंने बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए कोई कोर कसर नही छोड़ी। आज उनका बड़ा बेटा अहमदाबाद में एक मल्टीनेशनल कंपनी में सेवारत है। छोटा बेटा इंग्लैंड में है। उसने डर्बी शहर में हुए निकाय चुनाव में काउंसलर पद पर जीत हासिल की। उनकी बेटी मीना मां के साथ ही रहती है।

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