जिला बनाने के बाद हुई प्रशासनिक हीलाहवाली

बागेश्वर जनपद गठन की 25वीं वर्षगांठ पर नागरिक मंच ने वेबीनार का आयोजन किया। जिसमें बागेश्वर कल आज और कल विषय पर चर्चा हुई।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 04:45 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 04:45 PM (IST)
जिला बनाने के बाद हुई प्रशासनिक हीलाहवाली
जिला बनाने के बाद हुई प्रशासनिक हीलाहवाली

जासं, बागेश्वर : जनपद गठन की 25वीं वर्षगांठ पर नागरिक मंच ने वेबीनार का आयोजन किया। जिसमें बागेश्वर कल, आज और कल विषय पर चर्चा हुई। जिला बनाओ आंदोलन के संयोजक गुंसाई सिंह दफौटी के संघर्षों को याद किया गया और उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अíपत की।

नागरिक मंच के अध्यक्ष पंकज पांडे ने कहा कि जिला बनाओ आंदोलन के संयोजक गुंसाई सिंह दफौटी के संघर्ष को भुलाया नहीं जा सकता है। वर्ष 1981-82 से पृथक जिले की मांग उठी। वकालत के पेशे से जुड़े स्व. दफौटी ने अपना काम छोड़ दिया। जिला आंदोलन के दौरान दो बार आमरण अनशन किया। तीन बार वह गिरफ्तार हुए और नौ माह से अधिक समय तक जेल में रहे। आंदोलन के प्रभाव से तत्कालीन उप्र के मुख्यमंत्री मायावती ने जिले की घोषणा की। संघर्ष की कीमत दफौटी के परिवार ने चुकाई। उनकी पत्नी नीमा दफौटी ने अत्यंत आíथक परेशानियों के साथ परिवार का भरण-पोषण किया। आंदोलनकारी जगत सिंह खेतवाल के योगदान को भी याद किया गया।

जिला आंदोलनकारी रहे सवाल संगठन के अध्यक्ष रमेश पाण्डे कृषक ने कहा कि जिला गठन के बाद जिले में किसी के भी सर्वमान्य नेता के न उभर पाने का मलाल है। संघर्ष वाहिनी जैसे जन संगठन की जरूरत है। प्रमोद मेहता ने कहा कि जिले में आधारभूत ढांचा के विकास के सुनियोजित सोच के अभाव पर निराशा जताई। कहा कि विकास के नाम पर बजट की खपाने की परिपाटी विकसित हो रही है। प्राथमिकता तय कर बजट का व्यय होना चाहिए। भुवन चौबे ने कहा कि जिले में पर्यटन की अपार संभावना है। आपदा संभावित क्षेत्रों में सिर्फ खानापूíत हो रही है। अधिवक्ता दया कृष्ण जोशी ने कहा जिला बनने के बाद प्रशासनिक हीलाहवाली रही है। उसे क्रियाशील बनाने के लिए संगठित होना होगा। प्रत्येक नागरिक को जिम्मेदारी निभानी होगी और प्रशासन को जवाबदेह बनाना है। इस दौरान कृष्ण चंद्र सिंह खत्री, पंकज जोशी, राजकुमार परिहार, प्रमोद जोशी आदि ने विचार रखे।

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