रानीखेत के ग्रामीणों ने आगामी विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का किया एलान

रानीखेत के गावों में पेयजल संकट बढ़ने के साथ ही अब ग्रामीणों का पारा भी चढ़ने लगा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 06:26 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 06:26 PM (IST)
रानीखेत के ग्रामीणों ने आगामी विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का किया एलान
रानीखेत के ग्रामीणों ने आगामी विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का किया एलान

संवाद सहयोगी,रानीखेत : गावों में पेयजल संकट बढ़ने के साथ ही अब ग्रामीणों का पारा भी चढ़ने लगा है। पिलखोली के बाशिदों के स्टेट हाईवे पर उतरने के बाद अब ताड़ीखेत ब्लॉक के कई गावों के लोगों ने आगामी विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का एलान कर दिया है। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया की यदि पेयजल आपूर्ति दुरुस्त कर ठोस उपाय नहीं किए गए तो आगामी विधानसभा चुनाव का तमाम गावों के लोग पूर्ण रूप से बहिष्कार कर देंगे।

पेयजल संकट से परेशान ताड़ीखेत ब्लॉक के कुलनाखेत, घिघारी, पाखुड़ा, बोसराकोट आदि गावों के तमाम लोगों ने अधिवक्ता प्रीति गोस्वामी के नेतृत्व में कुनलाखेत चौराहे पर एक दिवसीय धरना दिया। ग्रामीणों ने जल संस्थान पर उपेक्षा का आरोप लगाया। कहा कि कई बार गावों में टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति की गुहार लगाई जा चुकी है पर विभागीय अधिकारी सुनने को ही तैयार नहीं हैं। अधिवक्ता प्रीति गोस्वामी ने कहा कि गावों में मवेशियों को पिलाने तक के लिए पानी उपलब्ध नहीं है। बावजूद हर कोई अनसुनी कर रहा है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आरोप लगाया कि ग्रामीणों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। पूर्व सैनिक हरि सिंह नेगी ने एकजुट होकर संघर्ष करने का आह्वान किया। कहा कि नेता केवल मतदान के समय ही गांवों में भ्रमण करते है पानी के लिए ठोस उपाय नही करते है। सर्वसम्मति से तय हुआ कि जल्द गाव में पेयजल आपूर्ति को ठोस उपाय नहीं किए गए तो आगामी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार कर दिया जाएगा। कार्यक्त्रम का संचालन जगन्नाथ शर्मा ने किया। इस दौरान ग्राम प्रधान घिगारी शिखा सुयाल, पूर्व प्रधान गणेश सुयाल, सरपंच बालम सिंह, भुवन चंद सुयाल, प्रताप सिंह बोहरा, नंदन सिंह, सुरेश चंद्र, मोहन सिंह, हरीश चंद्र आदि मौजूद रहे।

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जल स्त्रोत बचाने को ठोस उपाय किए जाने की माग वक्ताओं ने कहा कि प्राकृतिक स्त्रोत सूखते जा रहे हैं। कई जगह प्राकृतिक जल स्त्रोत में भरपूर पानी है बावजूद विभाग उन्हें बचाने तक को ठोस उपाय नहीं कर रहा। एक स्वर में घटका गधेरे पर बाध बनाए जाने की माग उठाई गई ताकि भविष्य में गावों को समुचित पेयजल की आपूर्ति हो सके। बैठक के दौरान जंगलों को आग से बचाने पर भी विस्तार से चर्चा हुई।

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