उत्तराखंड में पलायन पर झलकी उत्तर प्रदेश की पीड़ा
संवाद सहयोगी, रानीखेत : सियासत ने बेशक बेशक सरहदों में बांट दिया हो, मगर उत्तर प्रदेश
संवाद सहयोगी, रानीखेत : सियासत ने बेशक बेशक सरहदों में बांट दिया हो, मगर उत्तर प्रदेश के दिल में देवभूमि उत्तराखंड आज भी उतनी ही तवज्जो रखता है। पलायन से बेजार पहाड़ में खाली होते गांव व बंजर होती खेती पर बुंदेलखंड, रायबरेली व उन्नाव से पहुंची प्रगतिशील महिला किसान भी चिंतित नजर आई। अपने अपने क्षेत्रों में उत्तराखंड से सीख लेकर जैविक खेती को बढ़ावा देने में जुटे फुटेरा बरवासागर झांसी के धरतीपुत्र श्याम विहारी गुप्त व पूरन लाल कुशवाहा ने लोकगीत 'उजड़ा गांव बसेगा फिर से, कोयल कू कू कूकेंगी, बंजर धरती हरी भरी हो नित सोना उगलेगी। गो पालन संवर्द्धन कर उन्नत गांव बसाना है, इसीलिए सूना हर आंगन फिर से उसे बसाना है..' के जरिये खेती व पशुपालन से पुन: जुड़ने का आह्वान किया।
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मजखाली स्थित राज्य जैविक कृषि प्रशिक्षण व अनुसंधान केंद्र में उत्तर प्रदेश के किसानों ने रसायनमुक्त खेती के लिए जैविक खाद व कीटनाश बनाने के गुर सीखे। इस मौके पर केंद्र प्रभारी, डॉ. देवेंद्र सिंह नेगी, प्रबंधक मनोहर सिंह अधिकारी, मृदा विशेषज्ञ डॉ. सुमन महान, हरिहर सिंह यादव, सहायक तकनीकि प्रबंधक उन्नाव आदि मौजूद रहे।
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फोटो : 15 आरकेटी पी 2
'झांसी में जैविक सब्जियां ही बिक रही। दुकानों में लिख दिया है 'जीना है तो आ, मरना है तो जा' यानी रासायनिक खाद व दवाओं वाली सब्जियों के प्रति सचेत भी कर रहे।
- पूरन लाल कुशवाह, फुटेरा बलवासागर झांसी'
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फोटो : 15 आरकेटी पी 3
'उत्तराखंड की पर्वतीय खेती बचाने को महिलाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए। झांसी के गांवों में जैविक उपायों से उन्नत खेती कर बेहतर उत्पादन हो रहा।
- शिव कुमारी, प्रगतिशील किसान रायबरेली'
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फोटो : 15 आरकेटी पी 4
'रसायन के दुष्प्रभाव समझ जैविक खेती के प्रति रुझान बढ़ रहा। हमने घर पर जैविक खाद बना आजीविका से जोड़ा है। सालाना करीब तीन लाख रुपये की आमदनी कर लेती हैं।
- गुड्डी देवी, अल्दो औरास उन्नाव'
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फोटो : 15 आरकेटी पी 5
'पहाड़ आकर जैविक खाद व दवा बनाने की नई जानकारी मिली। हम महिला समूहों के जरिये जैविक खेती के लिए औरों को भी प्रेरित कर रही। उप्र सरकार सहयोग भी पूरा दे रही।
- राम देवी, उन्नाव'
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फोटो : 15 आरकेटी पी 6
'प्रशिक्षण में जैविक खाद व उत्पादन का तकनीकी ज्ञान ले रहे। पहाड़ की तुलना में उन्नाव पशुपालन में आगे है। इससे गोबर खाद ज्यादा उपलब्ध है। पर्वतीय गांवों से पलायन रोकने को कारगर उपाय करने चाहिए।
- रानी देवी, गोबरा उन्नाव'
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फोटो : 15 आरकेटी पी 7
'जैविक उत्पादन को उप्र सरकार बढ़ावा दे रही। पर्वतीय क्षेत्र में खत्म होती खेती व पलायन चिंतनीय है। उप्र व उत्तराखंड सरकारें तकनीक का आदान प्रदान, औषधीय पादप व नकदी फसलों के जरिये लोगों को खेती से जोड़ सकती है। इस दिशा में ठोस प्रयास होने चाहिए।
- डॉ. अनिता सिंह, समन्वयक कृषि निदेशालय लखनऊ'