हजारों लीटर तेजाब की मांग, खपत कहां पता नहीं

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : हजारों लीटर तेजाब की खपत कहां हो रही है यह जानने के लिए अधिक

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 Sep 2018 10:36 PM (IST) Updated:Tue, 11 Sep 2018 10:36 PM (IST)
हजारों लीटर तेजाब की मांग, खपत कहां पता नहीं
हजारों लीटर तेजाब की मांग, खपत कहां पता नहीं

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : हजारों लीटर तेजाब की खपत कहां हो रही है यह जानने के लिए अधिक दूर जाने की जरूरत नहीं। लीसा ठेकेदार व लकड़ी तस्करी में लिप्त लोग इसका बड़ी मात्रा में प्रयोग कर रहे हैं। वहीं इसका प्रयोग चोरी-छिपे लोग दूसरे कामों में भी करते दिखाई देत हैं। पेटशाल के दसौं गांव में बड़े भाई व उसके परिवार पर तेजाब से हमला करने की घटना के बाद प्रशासन भी सकते में है। प्रश्न यह है कि आखिर आरोपी भाई रघुनाथ ¨सह के पास इतनी बड़ी मात्रा में

तेजाब से भरा जार कहां से आया। इसको लेकर जहां प्रशासन जांच कर रहा है। वहीं इसके पीछे का खेल भी सामने आ गया है।

सूत्रों की मानें तो लीसा दोहन का काम अल्मोड़ा सहित पूरे पहाड़ी जनपदों में बड़ी मात्रा में किया जा रहा है। इसके लिए वन विभाग की तरफ से लीसा निकालने के लिए निविदा आमंत्रित की जाती है। जिसमें यह भी स्पष्ट उल्लेख किया जाता है कि लीसा ठेकेदार खुद ही लीसा दोहन के लिए उपकरण की खरीद फरोख्त करेंगे। जिसमें तेजाब भी शामिल है। परंतु यह तय नहीं है कि एक ठेकेदार कितनी मात्रा में तेजाब की खरीद करेगा। यहीं पर तेजाब के प्रयोग को लेकर प्रश्नचिन्ह लग जाता है। वहीं सूत्र बताते हैं कि ठेकेदारों की तरफ से लीसा निकालने में लगाए जा रहे मजदूरों के बीच एक निश्चित मात्रा में तेजाब का वितरण किया जाता है। इस काम में लगे सभी मजदूर अपने घरों में तेजाब रखते हैं। वहीं वन विभाग के मानकों में यह है कि लीसा निकालने के दौरान मजदूर के साथ वन विभाग का एक कर्मचारी भी मौजूद रहेगा। लेकिन ऐसा होता नहीं है जिसका फायदा यह मजदूर उठाकर तेजाब की चोरी करते हैं। जिसके बाद दसौं जैसी हृदय विदारक घटनाएं सामने आती हैं। पूरे मामले में प्रशासन की कार्यशैली पर भी एक प्रश्नचिन्ह लग गया है। जिससे पता चलता है कि खुलेआम बिना की रोकटोक के तेजाब सरलता से उपलब्ध है। वहीं लकड़ी तस्कर भी इसका प्रयोग पेड़ों को सुखाने में करते हैं।

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लीसा निकालने के लिए एसिटिक एसिड व हाइड्रोक्लोरिक एसिड का प्रयोग किया जाता है। ठेकेदार एसिड खुद ही खरीदता है। इससे पूर्व विभाग की तरफ से ठेकेदारों को खरीदकर दिया जाता था। वैसे इसकी खरीद का मानक तय है जो इस समय मेरे संज्ञान में नहीं है।

-पंकज कुमार, क्षेत्रीय वनाधिकारी, अल्मोड़ा

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