बीमार को डोली से सड़क तक लाने को विवश हैं ग्रामीण

यूं तो उत्तराखंड राज्य बनने के बाद अनेक गांव सड़क सुविधा से जुड़ गए हैं लेकिन चौखुटिया के कई गांव सड़क से दूर हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 05:01 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 05:01 PM (IST)
बीमार को डोली से सड़क तक लाने को विवश हैं ग्रामीण
बीमार को डोली से सड़क तक लाने को विवश हैं ग्रामीण

संस, चौखुटिया: यूं तो उत्तराखंड राज्य बनने के बाद अनेक गांव सड़क सुविधा से जुड़ गए हैं, लेकिन आज भी कई ऐसे गांव हैं, जहां के बाशिंदे मोटर मार्ग के लिए भारी जद्दोजहद कर रहे हैं। 21वीं सदी की ऐसी ही तस्वीर ही स्याल्दे विकास खंड के दूरस्थ क्षेत्र इकूखेत के मंगरूखाल, गाजर, मठखानी व बुरांश पानी गांवों की है। यहां के लोगों के लिए सड़क सुविधा आज भी सपना है। हालत यह है कि बीमार लोगों को गांव से सड़क तक लाने के लिए डोली ही एक मात्र सहारा है। जो कठिन पहाड़ी रास्तों के चलते जोखिम भरा है।

ग्रामीणों के भारी दबाव पर 2014 में साढ़े पंद्रह किमी मंगरूखाल-गाजर-कालिंका मोटर मार्ग को स्वीकृति तो मिल चुकी है, लेकिन निर्माण कार्य आज भी अधर में लटका है। नतीजा ग्रामीणों को मीलों की दूरी पैदल ही नापनी पड़ रही है। वह भी कठिन रास्तों से। राशन समेत अन्य सभी घरेलू सामान सिर में रखकर ले जाना उनकी मजबूरी में शुमार है। गांवों में किसी के बीमार हो जाने पर उसे पालकी या डोली में बिठाकर सड़क तक पहुंचाने को ग्रामीण विवश हैं।

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ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी

ग्रामीणों का कहना है कि गत वर्ष सितंबर में मोटर मार्ग निर्माण को लेकर 17 दिन तक धरना व क्रमिक अनशन किया। विभागीय अधिकारियों के आश्वासन पर धरना समाप्त किया गया, मगर सड़क का मसला आज भी बना है। सामाजिक कार्यकर्ता सुनील टम्टा, ब्लॉक प्रमुख करिश्मा टम्टा, राम सिंह रावत, प्रधान हेमा देवी, हीरा सिंह, राजे सिंह व भगत सिंह आदि ने शीघ्र मार्ग निर्माण कार्य शुरू न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।

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वर्जन

मोटर मार्ग निर्माण में वन विभाग का पेंच फंसा है। वन विभाग द्वारा मांगी गई आपत्तियों का निस्तारण किया जा रहा है। आपत्तियों के निस्तारण के बाद शासन द्वारा सैद्धांतिक स्वीकृति मिलते ही सड़क निर्माण की अग्रिम कार्रवाई प्रारंभ कर दी जाएगी। -एनएस रावत सहायक अभियंता लोक निर्माण विभाग रानीखेत।

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