200 हेक्टेयर जंगल तैयार कर चुका पहाड़ का फॉरेस्ट मैन

पहाड़ के फारेस्टमैन ने दो सौ हेक्टेयर जंगल तैयार कर दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 06:37 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 06:37 PM (IST)
200 हेक्टेयर जंगल तैयार कर चुका पहाड़ का फॉरेस्ट मैन
200 हेक्टेयर जंगल तैयार कर चुका पहाड़ का फॉरेस्ट मैन

फोटो: 18 एएलएम पी 6, पी 7 व पी 8 जगत सिंह रौतेला, द्वाराहाट

ऑक्सीजन की कीमत महासंकट की दूसरी लहर में पता लग रही है। मगर प्राकृतिक प्राणवायु का मोल रसायन विज्ञान के प्रवक्ता मोहन काडपाल ने चार दशक पूर्व ही समझ ली थी। ओसम निवासी फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया पद्मश्री जादव मोलाई पायेंग की तरह 1360 हेक्टेयर तो नहीं लेकिन मोहन मास्साब 40 साल की मेहनत व जुनून के बूते लगभग 200 हेक्टेयर क्षेत्र में मिश्रित जंगल तैयार कर पर्यावरण संरक्षण में हाथ बंटाने में लगे हैं।

आदर्श इंटर कॉलेज सुरईखेत में तैनात मोहन मास्साब का प्रकृति प्रेम मौजूदा कोरोनाकाल में किसी प्रेरणा से कम नहीं। उन्होंने 1990 से स्थानीय आबोहवा के अनुरूप वनस्पति प्रजातियों को विस्तार देने का जो बीड़ा उठाया। अब सुकून दे रहा। स्थानीय ग्रामीणों को साथ लेकर वह अब तक द्वाराहाट व भिकियासैंण ब्लॉक ब्लॉक क्षेत्र के 62 गांवों में जंगलात तैयार कर चुके हैं। जो करीब 200 हेक्टेयर में हैं। यहां चार दशक पूर्व लगाए गए स्थानीय बाज, उतीस, काफल, भीमल, रीठा सहित 25 स्थानीय प्रजातियों के पौधे अब बड़े होकर शुद्ध ऑक्सीजन दे रहे हैं। इन 40 वर्षो में यहा की आबोहवा में पहले की तुलना में तरावट भी आई है।

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इन गांवों में आई हरियाली

काडे, बिठोली, सिलंग, सिमलगाव, बजीना, कसखेत, नारसिंग, बाड़ी व कौड़ा आदि।

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वर्षा जल भी सहेज रहे

वनीकरण के साथ मोहन मास्साब ने कृत्रिम तालाब यानी चालखाल भी बनाने में जुटे हैं। ताकि वर्षाजल को सहेज उसे भूजल भंडार तक पहुंचाया जा सके। हालिया अच्छी बारिश से ऊपरी भूभाग से बहकर आया बरसाती पानी इन तालाबों में लबालब भर भी गया है। सिलंग व कसखेत के कृत्रिम तालाब पुराने स्रोतों को पुनर्जीवित करने की आस लगा रहे।

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'पानी बोओ, पानी उगाओ' का संदेश

प्रकृति के श्रृंगार में मोहन मास्साब का हाथ बंटा रहे हैं सेवानिवृत्त सचिव लोकसभा रामचंद्र वीरवानी। दोनों ने मिलकर बीते दो वर्षो में द्वाराहाट के नट्टागुल्ली, बिठोली, नागार्जुन, नारसिंग आदि क्षेत्रों में चाल खाल बना चुके हैं। इससे आसपास हरियाली के साथ जैवविविधता बढ़ाने में भी मदद मिल रही।

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'अब तक चौखुटिया ब्लॉक के उन क्षेत्रों को हराभरा बनाएंगे, जहां जमीन बंजर हो चली है। बच्चों की पढ़ाई के साथ मानवनिर्मित जंगल तैयार करने के लिए योजनाएं बनाने के लिए समय निकालते हैं। जल, जंगल, जैवविविधता व खेती बचाने के लिए मातृशक्ति को भी साथ लेंगे। कोरोना के कारण हमने अकेले अपने अपने इलाकों में ही एक-एक पौधा लगा कर मुहिम को मुकाम तक पहुंचाने की सोची है।

- मोहन कांडपाल, प्रवक्ता रसायन विज्ञान' ==========

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