कुमाऊं की पहली नदी जिसे संवारेंगे 'तंत्र व गण'

कोसी की बड़ी सहायक नदियों में शुमार कुंजगढ़ का पुनर्जनन होगा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 10:57 PM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 10:57 PM (IST)
कुमाऊं की पहली नदी जिसे संवारेंगे 'तंत्र व गण'
कुमाऊं की पहली नदी जिसे संवारेंगे 'तंत्र व गण'

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : कोसी की बड़ी सहायक नदियों में शुमार कुंजगढ़ का 'पुनर्जनन' अभियान नायाब मॉडल देगा। अस्तित्व के लिए जूझ रही कुमाऊं की यह पहली गैरहिमानी नदी होगी, जिसे 'तंत्र व गण' मिलकर नया जीवन देंगे। साथ ही पहला मौका है जब कोसी पुनर्जनन महाअभियान के जनक प्रो. जीवन सिंह रावत के निर्देशन व दधीचि अवार्डी प्रकाश जोशी की अगुवाई में पंचायती प्रतिनिधि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर नदी संरक्षण को सामूहिक रूप से कदम बढ़ाएंगे।

दनरअसल, अब तक नदियों के पुनर्जनन कार्यो में प्रशासनिक व संबंधित विभागीय टीमों की हिस्सेदारी ही रही है। मगर कुंज नदी को पुनर्जीवित करने के लिए प्रशासन व विभाग तथा प्रधानों के साथ ग्रामीण साथ आएंगे। हालिया डीएम नितिन सिंह भदौरिया के निर्देश पर कुंज के सभी नौ रिचार्ज जोन के लिए इतने ही नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए। इधर दधीचि अवार्डी प्रकाश के नेतृत्व में भी नौ समन्वयक नामित कर दिए गए हैं। जो प्रशासन के नोडल अधिकारियों के साथ पुनर्जनन कार्यो की निगरानी करेंगे। ताकि पारदर्शिता के साथ कुंज को पुनर्जीवित किया जा सके।

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कुंज पर एक नजर

लगभग 26. 44 किमी क्षेत्र में फैली कुंज के नौ मुख्य रिचार्ज जोन हैं। पांच सहायक नदियां व इनके भी सहायक 481 जलधारे थे। जो अब मृतप्राय हैं। कोसी बेसिन के बीच में कुंज जलागम का कुल क्षेत्रफल लगभग 98.72 वर्ग किमी है। उद्गम स्थल 1713 मीटर की ऊंचाई पर बिनसर महादेव से उत्तर पश्चिम दिशा में है।

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'यह अनुकरणीय है। कुंज पुनर्जनन मुहिम नया मॉडल बनेगी। प्रशासन व ग्रामीणों का मिलकर काम करना सराहनीय है। भूजल भंडारों तक वर्षाजल पहुंचाने को उद्गम की ओर जलसोख्ता रंध्र, गर्त, पीरूल के चेकडैम, चाल खाल व कृत्रिक तालाब बनाए जाएंगे। सभी नौ नोडल अधिकारियों को माइक्रोप्लान तैयार करने को कहा है। ताकि हरेले पर युद्ध स्तर से काम शुरू कर सकें।

- प्रो. जीवन सिंह रावत, वैज्ञानिक सलाहकार कुमाऊं मंडल नदी पुनर्जनन समिति

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'डीएम की दिलचस्पी व प्रो. जीवन सिंह रावत निर्देशन में कुंज पुनर्जनन कार्य मुकाम तक पहुंचेगा। इस नदी को बचा लिया तो ताड़ीखेत ब्लॉक के 80 गांवों का सिंचाई व पेयजल संकट दूर होगी। नदी संरक्षण के साथ जलागम क्षेत्रों के स्थानीय ग्रामीणों को स्वरोजगार भी मिलेगा।

- दधीचि अवार्डी प्रकाश जोशी, पर्यावरण प्रेमी'

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