2010 की आपदा का मलबा अभी तक ताड़ीखेत के स्कूल में जमा
रानीखेत के ताड़ीखेत ब्लाक के स्कूलों को चाक-चौबंद करने के दावे तो जरूर किए गए लेकिन हालात कहीं विपरीत हैं।
संवाद सहयोगी,रानीखेत : पहाड़ों में शिक्षा के मंदिरों को चाक-चौबंद करने के दावे तो जरूर किए जाते हैं पर धरातल की तस्वीर कुछ अलग ही हकीकत बया कर रही है। ताड़ीखेत ब्लाक के जूनियर हाई स्कूल खान में नौनिहालों के ऊपर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। बावजूद कोई सुध लेवा नहीं है। हालात यह है कि वर्ष 2010 की आपदा का मलबा अभी भी कमरे में भरा पड़ा है।
ताड़ीखेत ब्लाक के सुदूर खान गाव के जूनियर हाईस्कूल में आस-पास के दस नौनिहाल अध्ययनरत हैं। तीन कमरों के स्कूल के एक कमरे में वर्ष 2010 में आई आपदा का मलबा आज भी जस का तस पड़ा है। हालात इस कदर खराब हैं कि विद्यालय की खिड़किया पत्थर के सहारे बंद की गई हैं। खिड़की-दरवाजे टूटे-फूटे हैं। छत भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है। बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही। नौनिहाल व स्कूल के प्रधानाचार्य, शिक्षिका तथा पर्यावरण मित्र पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
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बजट आया और वापस चला गया विद्यालय प्रबंधन के अनुसार वर्ष 2017 में स्कूल के निर्माण के लिए 17.42 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत हुई। बकायदा 8.71 लाख रुपये अवमुक्त भी हो गए पर नए भवन का निर्माण नहीं हो सका। बीते फरवरी में पैसा वापस भी हो चुका है। अब विद्यालय बजट की बाट जोह रहा है। तत्कालीन विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष शकर दत्त काडपाल के अनुसार वर्तमान में विद्यालय खतरे की जद में है। विद्यालय को अन्यत्र जमीन पर बनाया जाना चाहिए ताकि खतरा टल सके। विद्यालय के प्रधानाचार्य जगदीश चंद्र सती बताते हैं कि लगातार उच्चाधिकारियों को पत्राचार भी किया जा रहा है। हालाकि विद्यालय में खतरा बना हुआ है। वहीं विद्यालय परिसर के आस-पास विशालकाय पेड़ भी खतरे को दावत दे रहे हैं।
======================= 'जानकारी है कि विद्यालय प्रबंधन समिति ने पूर्व में मिले बजट पर काम करवाने से मना कर दिया। अब दोबारा स्टीमेट मागा गया है। स्वीकृति मिलने पर कार्य कराया जाएगा।
- एसएस बिष्ट, खंड शिक्षा अधिकारी, ताडी़खेत'