कुमाऊं के अंतिम शासक व क्रातिकारी राजा आनंद सिंह कोनमन

अल्मोड़ा में कुमाऊं नरेश एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजा आनंद सिंह का उनकी जयंती पर भावपूर्ण स्मरण किया गया। पर्यावरण के प्रति गहरा लगाव तथा पहाड़ के जलस्रोतों का संरक्षण करने में बड़ी भूमिका निभाने वाले चंदराजवंश के राजा आनंद सिंह ने ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। संवाद सहयोगी अल्मोड़ा कुमाऊं नरेश एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजा आनंद सिंह का उनकी

By JagranEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 04:59 PM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 04:59 PM (IST)
कुमाऊं के अंतिम शासक व क्रातिकारी राजा आनंद सिंह कोनमन
कुमाऊं के अंतिम शासक व क्रातिकारी राजा आनंद सिंह कोनमन

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : कुमाऊं नरेश एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजा आनंद सिंह का उनकी जयंती पर भावपूर्ण स्मरण किया गया। पर्यावरण के प्रति गहरा लगाव तथा पहाड़ के जलस्रोतों का संरक्षण करने में बड़ी भूमिका निभाने वाले चंदराजवंश के राजा आनंद सिंह ने ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। कुलदेवी मां नंदा के मंदिर (जगदंबा दरबार) के पास ही स्थापित आदमकद मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया। राजपुरोहितों ने राजा आनंद सिंह के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।

नवमी पर चंदराजवंश के राजा करम चंद सिंह बाबा व अन्य उत्तराधिकारियों ने कुलदेवी मा नंदा के मंदिर (जगदंबा दरबार) में सुबह शीश नवाया। बाद में ड्योड़ीपोखर के समीप मूर्ति पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित किए। राजपुरोहितों के मुखिया पं. नागेश चंद्र पंत ने गीता के श्लोकों का उच्चारण कर श्रद्धासुमन अर्पित किए। कुमाऊं नरेश राजा आनंद सिंह (1921-1923) के आजादी की लड़ाई, पहाड़ के जलस्त्रोतों व पर्यावरण के संरक्षण में किए गए अतुलनीय योगदान को याद किया। इस दौरान राजपुरोहित पं. हरीश चंद्र पंत, पं. दिनेश चंद्र पंत, देवेश पंत, कार्तिकेय पंत, आदित्य पंत, चंद्रेश पंत, विवान पंत ने सहयोग दिया।

बाद में माल्यार्पण कार्यक्रम हुआ। इसमें पालिकाध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी, प्रधानाचार्या जीजीआइसी सावित्री टम्टा, विजया पंत, हेमा पंत, ज्योति पंत, कल्पलता पंत, दया पाडे, नितिन जोशी, केसी पाडे, आनंद सिंह बगड्वाल, संस्कृति कर्मी नवीन बिष्ट, नारायण सिंह थापा, कैलाश गुरुरानी, मनोज जोशी आदि मौजूद रहे।

मां नंदादेवी व चंदराजवंश पर लिखी जाय किताब : बिष्ट

वरिष्ठ संस्कृति कर्मी नवीन सिंह बिष्ट ने कहा कि चंद शासक राजा आनंद सिंह राजशाही के इतर कर्मयोगी रहे। जनकल्याण, पर्यावरण की सेवा और आजादी की लड़ाई लड़ी। अविवाहित रहे। कहा कि मां नंदादेवी के कौतिक व चंद राजवंश के इतिहास को सहेजे रखने के लिए किताब लिखी जानी चाहिए। ताकि आने वाली पीढ़ी व शोधार्थी कुमाऊं की ऐतिहासिक विरासत को जान समझ सकें।

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