रेवाड़ी में पांडवलीला ने छोड़ी अमिट छाप

चौखुटिया विकास खंड के रेवाड़ी गांव में चल रही पौराणिक व पारंपरिक पांडवलीला का हवन यज्ञ व भंडारे के साथ समापन हो गया है। इस दौरान गांव के पास विशाल मेला भी लगा।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 05:31 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 05:31 PM (IST)
रेवाड़ी में पांडवलीला ने छोड़ी अमिट छाप
रेवाड़ी में पांडवलीला ने छोड़ी अमिट छाप

संस, चौखुटिया : विकास खंड के रेवाड़ी गांव में चल रही पौराणिक व पारंपरिक पांडवलीला का हवन यज्ञ व भंडारे के साथ समापन हो गया है। इस दौरान गांव के पास विशाल मेला भी लगा। दिनभर क्षेत्र का माहौल भक्तिमय व रोचक बना रहा। पांडव व कौरवों के बीच हुए महाभारत युद्ध का पांडव पात्रों ने विभिन्न कलाओं में प्रदर्शन किया। जिसका आसपास ही नहीं वरन दूर-दूर से पहुंचे श्रद्धालुओं ने आनंद लिया। शाम को सभी ने भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया।

शनिवार को सुबह से ही आयोजन स्थल पर लोगों का पहुंचने का क्रम शुरू हो गया। कुछ ही देर में पंडाल श्रद्धालुओं से खचाखच भर आया। फिर ढोल की थाप पर पांडव पात्रों ने अपने हाथों में तीर-कमान व अन्य अस्त्र-शस्त्रों को लेकर विभिन्न मुद्राओं में महाभारत युद्ध को नृत्य के रूप में दर्शाया। आखिर में अधर्म पर धर्म की विजय का सीन दिखाया। मुख्य आकर्षण तीर से भेंदकर गेंडा को मारने का रहा। इसमें अर्जुन ने गेंडा का प्रतीक स्वरूप कद्दू में तीर मारकर उसका वध किया। फिर इसके टुकड़ों को प्रसाद स्वरूप लोगों में बांटा गया।

दोपहर बाद पांडव पात्रों ने पास के घाट पर पूर्वजों का विधि-विधान से श्राद्ध किया। बाद में फिर मेला स्थल पर गोल घेरे में पांडवों का नृत्य प्रदर्शन हुआ। इसके साथ ही आठ नवंबर से आयोजित पांडवलीला संपन्न हो गई। देर रात कलदास देवता का पूजन हुआ। 43 वर्षो के अंतराल में रेवाड़ी गांव में आयोजित इस अनूठी पांडव लीला ने क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ी। जो काफी चर्चा का केंद्र बन गया।

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