माल्टा को नहीं मिला उत्तराखंड में बाजार

पहाड़ी इलाकों में होने वाले माल्टा के स्वाद के सभी लोग मुरीद होते हैं। देश और दुनिया के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करना वाले माल्टा की उत्तराखंड में बेकद्री होती आई है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 05:36 PM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 05:36 PM (IST)
माल्टा को नहीं मिला उत्तराखंड में बाजार
माल्टा को नहीं मिला उत्तराखंड में बाजार

गणेश पाण्डेय, दन्यां : पहाड़ी इलाकों में होने वाले माल्टा के स्वाद के सभी लोग मुरीद होते हैं। देश और दुनिया के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करना वाले माल्टा की उत्तराखंड में बेकद्री होती आई है। विपणन व प्रसंस्करण की उचित व्यवस्था न होने से यहां के मायूस फल उत्पादकों को मजबूरन औने पौने दामों में फल बेचने को विवश होना पड़ रहा है।

पहाड़ के ऊंचाई वाले इलाकों में सीट्रस प्रजाति के फलों की पैदावार काफी होती है। विकासखंड धौलादेवी के अन्तर्गत सुकना, चपडोला, आटी, मुनौली, खेती, धूरा, जाजर, अंडोली, पनुवानौला, जागेश्वर सहित ऊंचाई वाले अनेक गांवों में नींबू प्रजाति के फलों का काफी उत्पादन होता है। माल्टा, संतरा और नींबू सरीखे फलों की पैदावार काफी होने के बावजूद मेहनत का वाजिब फल काश्तकारों को नहीं मिल पाता है। प्रगतिशील काश्तकारों का कहना है कि उद्यान विभाग की ओर से विपणन व प्रसंस्करण की व्यवस्था न होने के कारण गांव के लोग अपनी उपज को अपने संसाधनों और संपर्को के जरिए औने-पौने भाव पर बेचने को विवश हो जाते हैं। काश्तकारों का कहना है कि जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा आदि प्रदेशों से आए किन्नू पूरे देश में उचित दाम पर बिकता है, मगर उत्तराखंड का माल्टा राज्य बनने के 21 साल बाद भी बाजार के लिए तरस रहा है। धौलादेवी ब्लाक में सैकड़ों हेक्टेयर क्षेत्र में सीट्रस प्रजाति के फलों का उत्पादन होता है। इस क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण केंद्रों के अभाव व विपणन की व्यवस्था राम भरोसे होने से गरीब तबके का उत्पादक हमेशा ही मायूस रहता है। जंगली जानवरों का आतंक भी पहाड़ के जैविक उत्पादों और फलों की बेकद्री बढ़ाने का एक अहम कारक है।

- गोविंद गोपाल, फल उत्पादक, ग्राम मुनौली उत्तराखंड में उद्यान विभाग का बजट तो बढ़ा है, मगर यहां पैदा होने वाले फलों को उचित दाम अब तक नहीं मिल पाए हैं। फलोत्पादक स्थानीय कस्बों में अपनी उपज ऐन केन प्रकारेण बेचने को विवश हैं।

- काश्तकार भगवान सिंह खनी

विकासखंड धौलादेवी क्षेत्र में सीट्रस प्रजाति के फलों का उत्पादन लगभग 50 हेक्टेयर भूमि में होता है। फल उत्पादकों को जूस बनाने का निश्शुल्क प्रशिक्षण विभाग द्वारा दिया जाता है। उद्यान विभाग में इच्छुक फल उत्पादक समूहों को भी प्रशिक्षण देने की व्यवस्था है।

- दीवान सिंह बिष्ट, एडीओ, उद्यान, धौलादेवी

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