आपदा की मार में अब महंगाई से झुलसा पहाड़
मानूसन की विदाई के बाद मूसलधार बारिश और आपदा की मार ने महंगाई की आग लगा दी है। तीन दिन तक साग सब्जियों की आपूर्ति ठप रहने के बाद चौथे रोज रामनगर से सब्जियां लेकर वाहन पहाड़ तो चढ़े लेकिन अतिरिक्त भाड़े ने बाजार को बेलगाम कर दिया।
संवाद सहयोगी, रानीखेत : मानूसन की विदाई के बाद मूसलधार बारिश और आपदा की मार ने महंगाई की आग लगा दी है। तीन दिन तक साग सब्जियों की आपूर्ति ठप रहने के बाद चौथे रोज रामनगर से सब्जियां लेकर वाहन पहाड़ तो चढ़े लेकिन अतिरिक्त भाड़े ने बाजार को बेलगाम कर दिया। नतीजतन, सब्जियों की भारी उछाल आ गया है। लहसुन 120 रुपये प्रति किलो जा पहुंचा है तो टमाटर का दाम दोगुना हो गया है। प्याज भी गरीबों की थाली से दूर हो चला है।
आसमान से बरसी आफत ने पर्वतीय जिलों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। रसोई गैस व पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति ठप है। वहीं सब्जियों के भाव खूब बढ़ गए हैं। तीन दिन की प्राकृतिक आपदा से उबरने की जुगत में लगे गरीब व मध्यम वर्ग अब महंगाई से उपजी त्रासदी झेलने को विवश हो गया है। हालांकि आलू के दाम 20 रुपये प्रतिकिलो पर स्थिर हैं। इसके पीछे पर्वतीय क्षेत्रों में आलू की अच्छी पैदावार भी माना जा रहा। आपदा पूर्व ये थे दाम
सप्ताहभर पूर्व तक बाजार नियंत्रण में था। लहसुन सौ रुपये प्रति किलो बिक रहा था। बींस, बैगन, टमाटर हो, भिंडी अथवा प्याज सभी की कीमत 40 रुपये के आसपास थी। भारी बारिश से सड़कें बंद हुई तो हल्द्वानी मंडी से सब्जियों की आमद ही ठप हो गई थी।
वाया रामनगर बढ़ गई कीमत
गुरुवार को रामनगर से सब्जियों की आपूर्ति शुरू हुई मगर कीमतों में एकदम उछाल आ गया। सब्जी व्यवसायी उमा नेगी के मुताबिक हल्द्वानी से सीधे रानीखेत या अल्मोड़ा के बजाय सब्जियों के वाहन रामनगर होकर पहाड़ पहुंचे। इस अतिरिक्त दूरी ने महंगाई बढ़ा दी है।
कीमतों पर नजर
लहसुन : 120
टमाटर : 80
बींस : 80
प्याज : 60
भिंडी : 50
बैगन : 50
लौकी : 30