36 घंटे पहले आपदा की चेतावनी के बाद भी सरकार हुई फेल
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि 36 घंटे पहले चेतावनी के बाद भी सरकार पर आपदा प्रबंधन करने में पूरी तरह नाकाम रही। उन्होंने मुख्यमंत्री को बहोड़ यानि बछड़ा बताया और कहा कि उन्हें तो कुछ भी नहीं पता जो जैसा कह रहा है वैसा कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि 36 घंटे पहले चेतावनी के बाद भी सरकार पर आपदा प्रबंधन करने में पूरी तरह नाकाम रही। उन्होंने मुख्यमंत्री को बहोड़ यानि बछड़ा बताया और कहा कि उन्हें तो कुछ भी नहीं पता, जो जैसा कह रहा है वैसा कर रहे हैं।
शनिवार को पत्रकार वार्ता में पूर्व सीएम हरीश रावत ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि चेतावनी के बाद भी सरकार नहीं जागी। लोगों को अलर्ट तक नहीं किया गया। लगातार बारिश होती रही। उसके बाद भी आपदा का तंत्र सक्रिय नहीं हुआ। प्राकृतिक आपदा आ गई थी तो उसके बाद कम से कम राहत और बचाव कार्य में तेजी लाना चाहिए था। अभी तक सड़कें नहीं खुल पाई हैं। राहत कार्य शुरू नहीं हो पाए हैं। अगर राज्य सरकार मौसम विज्ञानियों की चेतावनी को गंभीरता से लेता तो हादसों को रोका जा सकता था। नुकसान भी कम होता। केंद्रीय गृह मंत्री अमित साह के दौरे को भी निराशाजनक कहा।
हरीश रावत ने कहा कि अब मुख्यमंत्री महरम लगाने आपदा पीड़ितों से मिल रहे हैं। वह पीड़ितों के घर भी नहीं जा रहे हैं। उलटा उनको मिलने के लिए बुला रहे हैं। कांग्रेस सरकार आएगी तो आपदा के मानकों में बदलाव किए जाएंगे। आíथक सहायता और बढ़ाई जाएगी। एसडीआरएफ को अच्छी ट्रेनिग की जरूरत है। क्या करना है, इसका एक रोड मैप तैयार होना चाहिए। आपदा पीड़ितों के लिए काम करने वाला होगा प्रत्याशी
अल्मोड़ा : पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि आपदा की इस घड़ी में कांग्रेस का प्रत्येक कार्यकर्ता राहत सेवक के रूप में कार्य करेंगे। जो जितनी अधिक इस आपदा के दौर में कार्य करेगा, उसके पार्टी के टिकट मिलने की संभावना अधिक होगी। पार्टी पदाधिकारी यह देखेंगे कौन आपदा क्षेत्र में प्रभावितों लोगों की कितनी मदद कर रहा है।
लोकतंत्र की हत्या माफी लायक नहीं
अल्मोड़ा : हरक सिंह रावत के बयानों पर चुटकी लेते हुए हरीश रावत ने कहा कि सब छोटे भाई है। अगर पार्टी में आते तो स्वागत है। लेकिन जिस तरह से लोकतंत्र की हत्या करने का कार्य किया, उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता है। पार्टी संगठित होकर चुनाव लड़ेगी। अपने चुनाव लड़ने के सवाल को वह टाल गए।