गार्गी की गगास नदी भौगोलिक सूचना विज्ञान से संवरेगी

जीवनदायिनी कोसी व उसकी सहायक नदियों के बाद अब पवित्र गगास नदी को अत्याधुनिक भौगोलिक सूचना विज्ञान तकनीक (जीआइएस) से नया जीवन मिलेगा। बीते तीन दशक से गैरहिमानी नदियों को बचाने में जुटे जल विज्ञानी प्रो. जीवन सिंह रावत ने गगास पर शोध कर उसके रहस्यों से पर्दा उठाया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 09:26 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 09:26 PM (IST)
गार्गी की गगास नदी भौगोलिक सूचना विज्ञान से संवरेगी
गार्गी की गगास नदी भौगोलिक सूचना विज्ञान से संवरेगी

जगत सिंह रौतेला, द्वाराहाट (अल्मोड़ा) : जीवनदायिनी कोसी व उसकी सहायक नदियों के बाद अब पवित्र गगास नदी को अत्याधुनिक भौगोलिक सूचना विज्ञान तकनीक (जीआइएस) से नया जीवन मिलेगा। बीते तीन दशक से गैरहिमानी नदियों को बचाने में जुटे जल विज्ञानी प्रो. जीवन सिंह रावत ने गगास पर शोध कर उसके रहस्यों से पर्दा उठाया है। साथ ही जैविक व यांत्रिक उपचार के लिए भौगोलिक मानचित्र तैयार कर अब माइक्रोप्लान बनाने में जुट गए हैं। एक और भगीरथ प्रयास से कोसी की तर्ज पर गगास के उद्धार की उम्मीदें जगी हैं।

हिमालयी राज्य की गैरहिमानी नदियों के पुनर्जनन में जुटे नेशनल जियोस्पेशल चेयरप्रोफेसर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (भारत सरकार) की पहल पर ही पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नदी संरक्षण को ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल किया था। अब प्रो. रावत ने ऋषि गार्गी की तपोस्थली से निकलने वाली गगास पर शोध कर उसके रहस्यों से पर्दा हटाया है। वहीं उसके पुनर्जनन की राह भी दिखाई है।

कभी 8509 सहायक स्रोत व धारे थे

किसी दौर में 513 वर्ग किमी दायरे को संचारित करने वाली गगास के 8509 सहायक स्रोत, धारे व छोटी नदियां थीं। जो धीरे धीरे सूख चुकीं। पहाड़ के अन्य अन्य जलगमों की तुलना में गगास कैचमेंट एरिया घना है। इसका जनसंख्या घनत्व 690 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। मगर डेढ़ दशक पूर्व सदानीरा का जलप्रवाह थमना शुरू हो गया। भिकियासैंण में गगास व अपनी पैतृक नदी पश्चिमी रामगंगा से संगम के पास सूख चुकी थी। लंबे अध्ययन बाद प्रो. जीवन ने 16 जून 2005 को गगास को मौसमी नदियों की सूची में शामिल किया। वर्तमान में लगभग 1771 किमी के जलीय जाल से रानीखेत व गगास घाटी के 392 गांवों व खेतों की प्यास बुझाने वाली गंगा साल दर साल दम तोड़ती जा रही।

मातृशक्ति बनी मिसाल

बीते वर्ष जिला पंचायत अध्यक्ष उमा सिंह बिष्ट ने गगास को नया जीवन देने के लिए द्वाराहाट क्षेत्र की मातृशक्ति को साथ लिया। बीती चार अगस्त को गार्गेश्वर क्षेत्र से पुनर्जनन अभियान शुरू किया। इसी पहल पर अब प्रो. जीवन जीआइएस आधारित माइक्रोप्लान बना रहे ताकि मातृशक्ति की मुहिम को मुकाम दिया जा सके।

नदियां हमारी सभ्यता संस्कृति की वाहक भी हैं। इन्हें नहीं बचाया तो आने वाली पीढ़ी हमें कोसेगी। गगास बचाने को जनप्रतिनिधियों व मातृशक्ति की पहल सराहनीय है। पुनर्जनन कार्य कठिन पर जनसहयोग से भगीरथ प्रयास आसान कर देता है। जिला पंचायत अध्यक्ष उमा सिंह को नदी बचाने के लिए हरसंभव सहयोग देंगे। माइक्रोप्लान बनाकर उपलब्ध भी कराया जाएगा।

- प्रो. जीवन सिंह रावत, नेशनल जियोस्पेशल चेयरप्रोफेसर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी' गगास बचाना को जरूरी है। इस मुहिम को मिशन के रूप में लिया जा रहा है। नदी पुनर्जनन को प्रो.र ावत से विज्ञानी सलाह के साथ पूरा सहयोग लिया जाएगा। ताकि गगास को मौलिक स्वरूप दिलाया जा सके।

- उमा सिंह बिष्ट, जिला पंचायत अध्यक्ष

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