बदहाल स्वास्थ्य सेवा पर उबाल, आक्रोश रैली निकाली

जिले की खस्ताहाल स्वास्थ्य सेवा पर एक बार फिर उबाल आ गया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 12:15 AM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 12:15 AM (IST)
बदहाल स्वास्थ्य सेवा पर उबाल, आक्रोश रैली निकाली
बदहाल स्वास्थ्य सेवा पर उबाल, आक्रोश रैली निकाली

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा: जिले की खस्ताहाल स्वास्थ्य सेवा पर एक बार फिर उबाल आ गया है। बीते दिनों गर्भवती की मौत के मामले में अब तक कोई कार्रवाई न होने से गुस्साए आम आदमी पार्टी (आप) कार्यकर्ताओं ने आक्रोश रैली निकाली। प्रदर्शन के बीच गांधीपार्क में धरना दिया। चिकित्सालय प्रबंधन व राज्य सरकार के खिलाफ गुबार निकाला। साथ ही दोषी चिकित्सकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की पुरजोर मांग उठाई।

पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष अमित जोशी के नेतृत्व में सोमवार को कार्यकर्ता सड़क पर उतर आए। चौघानपाटा में प्रदर्शन के बाद गांधी पार्क में धरना दिया। यहां हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि बदहाल स्वास्थ्य सेवा के कारण लोग बेमौत मारे जा रहे हैं। बीते वर्ष कोसी कटारमल के बाद बीते दिनों खगमराकोट निवासी गर्भवती माधवी ने उपचार के अभाव में दम तोड़ दिया। मृतका माधवी के भाई इंद्र सिंह ने कहा कि यदि जिला चिकित्सालय में चिकित्सक त्वरित उपचार दे समय पर हायर सेंटर रेफर कर देते तो शायद उसे बचाया जा सकता था। कार्यकर्ताओं ने गर्भवती की मौत के जिम्मेदार चिकित्सकों के खिलाफ हत्या का मुक?दमा दर्ज करने की मांग उठाई। वहीं राज्य सरकार पर आम आदमी को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने में नाकाम करार दिया। दो टूक कहा कि यदि जल्द कड़ी कार्रवाई न हुई तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। बाद में नगर में आक्रोश रैली निकाली गई। इसमें मनोज गुप्ता, आनंद सिंह बिष्ट, अखिलेश टम्टा, नीरज सिंह, सोहित भट्ट, दानिश कुरेशी, रोहित सिंह, नवीन आर्या, प्रकाश चंद्र कांडपाल, देव सिंह, रवि कुमार, दिनेश कुमार, सौरभ पांडे, पारस नेगी, कमला लटवाल आदि शामिल रहे।

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महिला आयोग का रुख सख्त, डीएम से की बात

फोटो: 25 एएलएम पी 7 एक और गर्भवती की मौत के मामले में राज्य महिला आयोग ने कड़ा रुख अपनाया है। उपाध्यक्ष च्योति साह मिश्रा ने डीएम नितिन सिंह भदौरिया से वार्ता की। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी ने मजिस्ट्रीयल जांच बैठा दी है। इसका जिम्मा एसडीएम सीमा विश्वकर्मा को सौंपा गया है। उपाध्यक्ष च्योति ने कहा कि प्रशासन से इस मामले में सख्त कदम उठाने के लिए कहा गया है। उनका कहना था कि राज्य सरकार की ओर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की कोशिशों के बावजूद गर्भवती महिलाओं की मौत गंभीर मामला है। इससे स्वास्थ्य विभाग की लचर कार्यप्रणाली पर त्वरित कार्रवाई की जरूरत बताई।

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